राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट हाईवे पर जहां विशिष्ट श्रेणी को टोल नाकों पर छूट दी गई हो, लेकिन टोल नाकों का संचालन करने वाले जिम्मेदारों की हरकतें देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वे राजस्थान की सरकार से भी बड़े हो गए हैं, उन्हें सरकार के निर्देशों से कोई लेना देना नहीं है और वे मनमानी कर जबरन अवैध वसूली पर उतर आए हैं।
ऐसा ही मामला रविवार को एक पत्रकार के साथ देखने को मिला। कोटा के एक अधिस्वीकृत पत्रकार ने बताया कि वे कोटा से केशवरायपाटन जा रहे थे, इसी दौरान कोटा-दौसा मेगा हाईवे पर गुडला व गुडली के बीच स्थित टोल प्लाजा पर पहुंचे, जहां उन्होंने अपना अधिस्वीकृत पत्रकार का कार्ड टोलकर्मी को दिखाया। जिस पर टोलकर्मी ने अधिस्वीकृत पत्रकार को कार्ड पर टोल टैक्स पर छूट देने से साफ इनकार कर दिया। जब पत्रकार ने टोलकर्मी से अधिस्वीकृत पत्रकारों को राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट हाईवे के टोल टैक्स पर छूट देने के नियमों का हवाला दिया तब भी टोलकर्मी ने ऐसी कोई छूट देने से मना कर दिया। उसके बाद पत्रकार से 97 रूपये की अवैध रूप से वसूली कर ही आगे जाने दिया। इस मामले मंे पत्रकार द्वारा दूसरे दिन राजस्थान संपर्क पोर्टल पर परिवाद दर्ज कराने के साथ टोल प्लाजा की कंपनी रीडकोर के मैनेजर को फोन पर अपनी आपबीती बताने पर उन्होंने टोल प्लाजा के मैनेजर को आगे से पत्रकारों के मामले में ध्यान रखने की बात कही। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरकार नियमों की पालना सुनिश्चित नहीं करने पर अवैध वसूली पर कार्यवाही कौन करेगा।
इस पर कोटा के ही एक वरिष्ठ पत्रकार ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अधिकतर टोल प्लाजा का संचालन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से राजनेताओं के संरक्षण में हो रहा है, जिसके चलते इन टोला प्लाजा संचालकों के हौंसले बुलंद हैं, साथ ही इन टोल टैक्स पर कार्यरत कुछ तथाकथित कर्मचारियों का पुलिस वेरीफिकेशन भी नहीं होता, जिसके चलते आपराधिक किस्म के लोग भी यहां काम करते हैं, जो कि अवैध वसूली करने के साथ ही लोगांे से अभद्रता व मारपीट करने तक से गुरेज नहीं करते।
टोल टैक्स पर लगे होर्डिंग में भी लिखा है पत्रकारों को छूट का नियम:
पत्रकार ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे अराजकता वाली घटना करार देते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से जंगलराज जैसा लगता है, उन्होंने बताया कि स्टेट हाईवे के सभी टोल नाकों पर विशिष्टजनों की सूची में अधिस्वीकृत पत्रकारों को छूट देने का नियम स्पष्ट लिखा हुआ है, बावजूद इसके टोलकर्मी द्वारा दादागिरी कर जबरन अवैध वसूली भ्रष्टाचार और खुली गुण्डागर्दी की श्रेणी में आता है। ऐसे में सवाल यह है कि राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए नियमों की पालना कौन करवाएगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए उक्त टोल प्लाजा के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि यह अवैध वसूली का मामला भ्रष्टाचार की श्रेणी में मानने योग्य बनता है जिस पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और लोकायुक्त को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।
जिंदा मक्खी निगलने जैसी घटना, जांच हो:
इस मामले में एक वरिष्ठ पत्रकार का तर्क है कि अक्सर सुनने में आता है कि घर पर खड़ी गाड़ी का टोलटैक्स कट गया। लेकिन इस घटना में तो पत्रकार को छूट का नियम होने के बावजूद सरेआम दादागिरी कर अवैध रूप से टोल वसूली जिंदा मक्खी निगलने जैसा खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार की श्रेणी मंे आता है, उन्होंने कहा कि इस टोलटैक्स की जांच हो तो और भी गड़बडि़यां सामने आ सकती हैं।
मुख्यमंत्री को भी करेंगे शिकायत:
इस मामले में पत्रकार का कहना है कि टोल मुक्त वाहनों की सूची में शामिल होने के बावजूद राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत पत्रकारों से टोल राशि की अवैध वसूली के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, इस संबंध मंे प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उक्त टोल प्लाजा के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की जाएगी। साथ ही कोटा व बूंदी जिले के जिला कलेक्टर व संभागीय आयुक्त को भी शिकायती पत्र भी सौंपकर पूरे मामले की जानकारी दी जाएगी।
करौली में पत्रकार से अवैध वूसली पर लगाया था 25 हजार जुर्माना:
एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस मामले में करौली का मामला बताते हुए कहा कि ऐसा ही एक मामला करौली में लगभग चार वर्ष पूर्व हुआ था, जहां टोलकर्मी द्वारा एक अधिस्वीकृत पत्रकार से टोल मुक्त वाहनों की सूची मंे शामिल होने के बावजूद 65 रूपये की जबरन अवैध वसूली की। पत्रकार द्वारा इस मामले में तत्कालीन जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग को शिकायत भेजी। जिसके बाद तत्कालीन आरएसआरडीसी के परियोजना निदेशक शिवस्वरूप मीणा ने उक्त टोल संचालक पर 25 हजार रूपये का जुर्माना आरोपित किया। साथ ही भविष्य में टोल कार्मिकों को पथकर वसूली के दौरान सद्व्यवहार के लिए भी पाबंद करने के लिए कंपनी को कड़े निर्देश दिये।
विशिष्ट श्रेणी में इनको मिलती है टोल टैक्स पर छूट
जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट हाईवे पर पत्रकारों के अलावा कई अन्य विशिष्ट जनों को भी छूट दी गई है। इनमें सैन्यकर्मी, पुलिस अधिकारी, सरकारी अधिकारी, विकलांग व्यक्ति, अपंग व्यक्ति, विधायक, मंत्री, न्यायाधीश, सांसद, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, विधानसभा के सदस्य, लोकसभा के सदस्य, राज्यसभा के सदस्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शामिल हैं।