नई दिल्ली। मोदी सरकार का महिलाओं के नेतृत्व में विकास यानी वोमेन लेड डेवलेपमेंट पर जोर है और सरकार लगातार इसके लिए प्रयास कर रही है। भारत सरकार के महिलाओं को सक्षम बनाने और वर्कफोर्स में उनकी भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों की दिशा में एक सकारात्मक पहल संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी शुरू हुई है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और यूरोपियन यूनियन (ईयू) मिल कर भारत की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और सक्षम बनाएंगे।

 

शुक्रवार को यूएन वोमेन और ईयू ने मिल कर वोमेन एम्पावर इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया जिसका लक्ष्य भारत में महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण है। वर्कफोर्स मे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना उन्हें रोजगार से जोड़ना है ताकि महिलाएं सक्षम बने और फिर भारत को सशक्त बनाएं। इस कार्यक्रम के लिए ईयू ने 2.78 मिलियन अमरीकी डालर का फंड यूएन वोमेन को मुहैया कराया है।

वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी काफी कम

 

भारत में वैसे तो वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी पहले से बढ़ी है लेकिन अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। आंकड़े देखे जाएं तो वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी मात्र 41.7 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की भागीदारी 78 प्रतिशत है। जब वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तो महिलाओं के सक्षम और सशक्त होने के साथ ही देश भी आर्थिक रूप से सशक्त और सक्षम होगा।वोमेन एम्पावर इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए वातावरण तैयार करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली में एक समारोह में हुआ। कार्यक्रम के लांच के साथ ही यूएन वोमेन और ईयू ने वोमेन एम्पावरमेंट प्रिंसपल्स यानी लिंग आधारित समानता के लिए काम करने वाले कॉरपोरेट लीडरों को पुरस्कृत भी किया।

 

यूएन वोमेन की कंट्री प्रोग्राम मैनेजर वोमेन इकोनोमिक एम्पावरमेंट सुहैला खान कहती हैं कि इस कार्यक्रम में यूएन वोमेन प्राइवेट सेक्टर और सरकारी टेनिंग सेंटर जैसे आइटीआइ आदि के साथ मिल कर महिलाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिलाएगी और फिर उन्हें रोजगार दिलाने या उद्यमी बनने और अपना रोजगार शुरू करने में मदद करेगी। जनवरी से यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में शुरू होगा जहां महिलाओं को कौशल विकास की ट्रेनिंग दिलाकर रोजगार से जोड़ा जाएगा। तमिलनाडु में पहले ही राज्य सरकार के साथ मिलकर टेक्सटाइल सेक्टर में काम हो रहा है। पूरा कार्यक्रम 40 महीनों का है।