राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह मामला तूल पकड़ चुका है. इस बीच गुरुवार (28 नवंबर) को चित्तौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी से सांसद सीपी जोशी और विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष पारीक ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सिविल कोर्ट की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर एक याचिका मंजूर किए जाने पर बीजेपी सांसद सीपी जोशी ने कहा कि कोर्ट के इस निर्णय का सभी पक्षों को स्वागत करना चाहिए.उन्होंने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि अगर सर्वे होगा, तो सभी चीजें सामने आ जाएंगी. इसमें किसी को खुश और नाराज होने की आवश्यकता नहीं है. अगर हम कहीं गलत नहीं है, तो इसमें बहकने की जरूरत नहीं है. कोर्ट के निर्णय के बाद सर्वे होगा, जिसमें जिस पक्ष के हक में फैसला आएगा, उसका हम लोग स्वागत करेंगे. इस मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष पारीक ने कहा, "यह विवाद हिंदू पक्ष द्वारा वहां शिव मंदिर होने और उसे तोड़कर दरगाह बनाए जाने के दावे पर आधारित है. यह विषय कोर्ट के सामने है और वहां वर्शिप राइट की बहाली की मांग की गई है. हिंदू पक्ष का मानना है कि वहां हिंदू मंदिर था, जिसको तोड़कर दरगाह बनाई गई. वहां पर शिव मंदिर था कि नहीं यह कोर्ट तय करेगा."अमितोष पारीक ने अपने बयान में 'अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' नामक पुस्तक का हवाला दिया, जिसे तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर हरबन शारदा ने लिखा था. उन्होंने कहा, "शारदा की पुस्तक में यह उल्लेख है कि दरगाह के निर्माण के लिए न तो जमीन का अधिग्रहण किया गया और न ही वहां कोई खाली जमीन थी." कोर्ट ने इस मामले में पुरातत्व विभाग और सरकार को नोटिस जारी किया है.उन्होंने यह भी कहा, "दरगाह में आज भी ब्राह्मणों की ओर से चंदन घिसने और लगाने की प्रथा जारी है, जिसे 'घड़ियाली' कहा जाता है." उन्होंने ज्ञानवापी मामले का जिक्र करते हुए कहा, "जैसे नंदी भगवान काशी में महादेव की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वैसे ही महादेव का असीम प्रेम इस प्रथा में भी झलकती है. आज भी हिंदू बड़ी संख्या में दरगाह के अंदर जा रहे हैं. महादेव की भक्ति के कारण हिंदू आज बड़ी संख्या में वहां पर पहुंचते हैं."