उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में अनाज भंडारण का बुनियादी ढांचा जल्द ही अत्याधुनिक तकनीक से युक्त होगा। इसके लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) को राज्यों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।उन्हें कई राज्यों से 14 अनाज भंडारण गृहों के लिए 38 तकनीकी आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके तहत निजी सहभागिता से अनाज को सुरक्षित रखने के लिए आधुनिक भंडारण गृह तैयार किए जा सकेंगे। इन बोलियों के तकनीकी मूल्यांकन में तीन से चार सप्ताह का समय लगेगा इसके बाद इस कार्ययोजना पर काम शुरू होगा।

विभाग का लक्ष्य 2024 तक भारतीय खाद्य निगम के भंडार गृहों को अत्याधुनिक बनाना है। इसके तहत देश में 249 स्थानों पर 111.125 लाख मीट्रिक टन क्षमता के भंडारण गृहों का निर्माण होगा। रेलवे स्टेशनों से जुड़े भंडारण केंद्रों को मॉडल भंडारण और आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा।हब और स्पोक मॉडल के तहत डीबीएफओटी टेंडर की टेक्निकल बोलियों में चार भागों में बंटे प्रस्तावों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 14 स्थानों के लिए 38 बोलियां लगाई गई हैं। जिसमें 15 संभावित पार्टियां सामने आईं हैं, जिन्होंने इसे विकसित करने में रुचि दिखाई है।

दरअसल, अनाज को दो श्रेणियों में रखा जाता है। तुरंत उपयोग में आने वाले खाद्यान्न और वह अनाज जो कि उत्पादन से सीधे भंडारण में जाता है, जहां से उसे सुरक्षित रखा जाता है। इसलिए इनके लिए दो तरह के अत्याधुनिक भंडार गृह अर्थात साइलों बनाने के लिए प्रस्ताव दिए गए थे।डीएफपीडी ने दो तरह के प्रस्तावों का समर्थन कियाहब एंड स्पोक मॉडल के तहत डीएफपीडी ने दो तरह के प्रस्तावों का समर्थन किया है। इसमें कार्यान्वयन, अन्य एजेंसियों से समन्वय आदि का काम भारतीय खाद्य निगम को सौंपा गया है।

क्या है हब एंड स्पोक मॉडल?

हब एंड स्पोक मॉडल एक परिवहन प्रणाली है। इसमें लंबी दूरी के परिवहन के लिए स्पोक को सड़क परिवहन से जुड़ने के रूप में संदर्भित किया गया है। हब वह केंद्रीय स्थान है जो कि परिवहन संपत्तियों में एक समर्पित रेलवे साइडिंग और कंटेनर डिपो सुविधा से लैस होता है, जबकि स्पोक से हब तक परिवहन सड़क के माध्यम से और हब से हब वाया रेल होता है।यह मॉडल रेलवे साइडिंग की दक्षता का उपयोग करके, थोक भंडारण और आवाजाही के माध्यम से लागत दक्षता को बढ़ावा देता है। इससे लागत, रखरखाव और परिवहन के समय में कमी आती है। यह मॉडल देश में आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण और रोजगार सृजन के अलावा परिचालन जटिलताओं को सरल करता है। इसके अलावा, अत्याधुनिक भंडार गृह को उप मंडी यार्ड घोषित किया गया है, जो किसानों के लिए खरीद में आसानी और रसद लागत में कमी लाता है।