बिजली के तार की चपेट में आने से 22 साल के युवक व 3 साल मासूम की मौत के मामले में जिला एवं सेशन कोर्ट ने बिजली विभाग (जेवीवीएनएल) को 13.18 लाख क्षतिपूर्ति के आदेश दिए है। साथ ही एक माह में क्षतिपूर्ति राशि कोर्ट में जमा कराने के आदेश दिए। इस मामले में परिवादियों की ओर से जिला एवं सेशन न्यायाधीश कोटा में फेटल (घातक) एक्सीडेंट अधिनियम 1985 के तहत याचिका लगाई थी। कनिष्ठ अभियंता जेवीवीएनएल कोटा ग्रामीण, सिमलिया, अधीक्षण अभियंता जेवीवीएनएल नयापुरा कोटा व चेयरमैन जेवीवीएनएल, विद्युत भवन जयपुर को पार्टी बनाया था। 50-50 लाख क्षतिपूर्ति राशि की डिमांड की गई थी। परिवादियों के वकील मंगलेश त्रिपाठी ने बताया कि घटना 17 फरवरी 2017 की सिमलिया थाना क्षेत्र की है। परिवादी चन्द्रपकाश व दिनेश आपस में पड़ोसी है।पावर हाउस कॉलोनी सिमलिया में निवास करते है। चंद्रप्रकाश का 22 साल का बेटा पवन पड़ोसी दिनेश की छत पर था। पवन की गोद मे दिनेश का 3 साल का बेटा संदीप था। छत के आसपास बंदर घूम रहे थे। पवन 3 साल के मासूम को गोद में लेकर बंदर दिखा रहा था। बंदर दिखाते समय मकान के कोने के पास चला गया। मकान के कोने से बिजली के तार गुजर रहे थे। इसी दौरान बंदरो के उछल कूद करने से बिजली के तार (11 KV) हिलने लगे। 3 साल के मासूम का हाथ बिजली के तार के टच हो गया। जिससे दोनों को करंट लगा। उनकी मौत हो गई। परिवादियों की ओर से अगस्त 2018 में कोर्ट में परिवाद पेश किया गया। वकील मंगलेश त्रिपाठी ने बताया कि बिजली विभाग की लापरवाही से दो घरों के चिराग बुझ गए। समय रहते बिजली विभाग ने तारों के रख रखाव पर ध्यान नहीं दिया। खुले में तारों को छोड़ दिवा। कोर्ट ने मामले में बिजली विभाग की गलती मानते हुए पवन की मौत पर 8 लाख 98 हजार 372 रूपए व संदीप की मौत पर 4 लाख 20 हजार रूपए क्षतिपूर्ति राशि अगस्त 2018 से 6 प्रतिशत ब्याज दर से कोर्ट में जमा कराने के आदेश दिए है।