जेट एयरवेज अब कभी शुरू नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 7 नवंबर को को जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आदेश दे दिया। लिक्विडेशन का मतलब है- किसी कंपनी की परिसंपत्तियों को जब्त करके उनसे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल उसके कर्ज और देनदारियों को चुकाने में करना होता है।अदालत ने इस आदेश में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले को पलट दिया। NCLAT ने मार्च में समाधान योजना (एयरलाइंस को संकट से उबारने) के तहत जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (JKC) को देने का फैसला सुनाया था।बता दें कि आर्थिक संकट की वजह से जेट एयरवेज का ऑपरेशन 2019 से बंद है। उस वक्त एयरवेज पर कई बैंको का 4783 करोड़ का कर्ज था। सबसे ज्यादा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया था। एयरलाइंस के घाटे में जाने के बाद बैंकों ने दिवालिया की कार्रवाई शुरू की थी। समाधान योजना के तहत JKC को मालिकाना हक मिलना था। इसके खिलाफ बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋणदाताओं और कर्मचारियों के हित में होगा, क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के 5 साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है। अदालत ने 'अजीब और चिंताजनक' परिस्थिति के मद्देनजर जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया।