महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले NCP के संस्थापक शरद पवार ने चुनावी राजनीति से संन्यास के संकेत दिए हैं। पवार ने कहा है कि अब वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, हालांकि पार्टी संगठन का काम देखते रहेंगे। यानी NCP (SP) चीफ के पद पर काम करते रहेंगे।84 साल के शरद पवार ने बारामती में मंगलवार को कहा कि, 'कहीं तो रुकना ही पड़ेगा। मुझे अब चुनाव नहीं लड़ना है। अब नए लोगों को आगे आना चाहिए। मैंने अभी तक 14 बार चुनाव लड़ा है। अब मुझे सत्ता नहीं चाहिए। मैं समाज के लिए काम करना चाहता हूं। विचार करूंगा कि राज्य सभा जाना है या नहीं।' 1960 में शरद पवार ने कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1960 में कांग्रेसी नेता केशवराव जेधे का निधन हुआ और बारामती लोकसभा सीट खाली हो गई। उपचुनाव में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया यानी PWP ने शरद के बड़े भाई बसंतराव पवार को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस ने गुलाबराव जेधे को उम्मीदवार बनाया।उस वक्त वाईबी चव्हाण महाराष्ट्र के CM थे। उन्होंने बारामती सीट को अपनी साख का मुद्दा बना लिया था। शरद अपनी किताब 'अपनी शर्तों पर’ में लिखते हैं कि मेरा भाई कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार था। हर कोई सोच रहा था कि मैं क्या करूंगा? बड़ी मुश्किल स्थिति थी।भाई बसंतराव ने मेरी परेशानी समझ ली। उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि ‘तुम कांग्रेस की विचारधारा के लिए समर्पित हो। मेरे खिलाफ प्रचार करने में संकोच मत करो। इसके बाद मैंने कांग्रेस के चुनाव प्रचार में जान लगा दी और गुलाबराव जेधे की जीत हुई।’ महज 27 साल की उम्र में शरद पवार 1967 में बारामती विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। पिछले 5 दशकों में शरद पवार 14 चुनाव जीत चुके हैं।