वॉशिंगटन डीसी के डेमोक्रेटिक फंड रेजर रमेश कपूर को 2016 का बोस्टन इवेंट याद है। तब उन्होंने कमला हैरिस को कहा था कि वे एक दिन राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेंगी। तब जवाब में कमला बस मुस्कुराई थीं। आज कमला राष्ट्रपति पद की दावेदारी कर रही हैं।कपूर कहते हैं कि बाइडेन के रेस से बाहर होने के बाद जुलाई में कमला डेमोक्रेटिक स्टार के जैसे उतरीं। उन्होंने तब ट्रम्प की बढ़त को लगभग खत्म कर दिया था। लेकिन बाद के महीनों में कमला रेस में पिछड़ गईं।नेशनल कॉलेज में इस चुनावी चर्चा में एलेक्स भी शामिल हो गए। वे बताते हैं कि कमला अब रणनीति में बदलाव कर रही हैं। यह गेमचेंजर भी साबित हो सकता है। कमला रिपब्लिकन पार्टी में डोनाल्ड ट्रम्प के विरोधियों को साधने में जुटी हैं। रिपब्लिकन पार्टी के ताजा सर्वे के मुताबिक 27% रजिस्टर्ड वोटर ट्रम्प के विरोधी हैं। उन्हें पार्टी से नहीं ट्रम्प से नाराजगी है। कमला इसके लिए ट्रम्प के व्यक्तित्व को टारगेट कर रही हैं। वॉशिंगटन डीसी में फेडरल डिपार्टमेंट पॉलिसी रिसर्चर रहे डेनियल ब्रुक का कहना है कि कमला की शुरुआती बढ़त का सबसे बड़ा कारण बाइडेन के मैदान से हटने के बाद लोगों में छाया उत्साह था। डेमोक्रेटिक पार्टी ही नहीं न्यूट्रल वोटरों का भी मानना था कि अब चुनाव में ताजगी आएगी।कमला के लिए रिकॉर्ड फंड रेजिंग हुई। पोल-सर्वे में भी वे ट्रम्प से आगे हो गईं। लेकिन इस बीच कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि ट्रम्प को फायदा मिलने लगा। इनमें ट्रम्प पर जुबानी हमला भी शामिल है। अब कमला के पिछड़ने के कारण भी बाइडेन ही जिम्मेदार हैं।बाइडेन की प्रवासियों को लेकर नीतियां और रोजगार के मुद्दे पर ठोस कार्रवाई नहीं करना कमला के लिए भारी पड़ रहा है। ये ‘बाइडेन बैगेज’ है। ब्रुक ने चुटकी लेते हुए कहा, कमला को अब इसे लेकर चलना पड़ रहा है। ये थोड़ा भारी हो रहा है, इसलिए वे रेस में पिछड़ रही हैं।