नई दिल्ली। ब्रिक्स देशों के बुधवार को रूस के कजान शहर में होने वाला शिखर सम्मेलन ब्राजील, रूस, भारत और चीन की तरफ से शुरू किए गए इस संगठन का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण आयोजन साबित हो सकता है। पिछले वर्ष पांच नए देशों के इस संगठन में शामिल होने के बाद पहली बार न सिर्फ इस सम्मेलन में दस देश पूर्ण सदस्य के तौर पर हिस्सा लेंगे बल्कि विशेष तौर पर आमंत्रित तकरीबन तीन दर्जन और देशों के प्रमुख या दूसरे वरिष्ठ प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे।
इन देशों के प्रमुख पहुंचे
बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन जैसे वैश्विक नेता कजान पहुंच चुके हैं। इसमें इस संगठन के नए युग की शुरुआत हो सकती है, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका व यूरोपीय देशों के निशाने पर रहने वाले रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने इस आयोजन के जरिये वैश्विक मंच पर अपना संदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। ऐसे में बुधवार देर शाम ब्रिक्स सम्मेलन के बाद जारी होने वाले कजान घोषणा-पत्र पर हर देश की नजर होगी।
40 देशों से मिला सदस्य बनने का प्रस्ताव
ब्रिक्स सम्मेलन के बारे में राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि तकरीबन 40 देशों की तरफ से इसका सदस्य बनने का प्रस्ताव मिला है। इसमें अल्जीरिया, बांग्लादेश, कांगो, बहरीन, कोलंबिया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाखस्तान, कुवैत, मलयेशिया, मोरक्को, म्यांमार, फिलिस्तीन, सीरिया, थाईलैंड, वियतनाम जैसे ग्लोबल साउथ (विकासशील व गरीब श्रेणी) के देश हैं।
सोच विचार कर फैसला लें: भारत
जानकारों का कहना है कि इनमें से 36 देशों के प्रमुखों को कजान बुलाकर राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका व पश्चिमी देशों को यह संदेश देने की कोशिश है कि यूक्रेन विवाद को लेकर उन पर दबाव बनाने की रणनीति काम नहीं कर रही। कजान में ब्रिक्स के नए सदस्य बनाने के तौर-तरीके पर भी फैसला होने की संभावना है। शुरुआती वार्ता में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बारे में काफी सोच विचार कर फैसला होना चाहिए।