रेवंतराम डांगा ने कहा है कि पिछली बार चुनाव में थोड़ी कसर रह गयी थी लेकिन इस बार हनुमान बेनीवाल का क़िला ढहा दिया जाएगा. भले ही  हनुमान बैनीवाल के परिवार से कोई भी चुनावी मैदान में उतरे कोई फ़र्क नहीं पढ़ने वाला है. जनता ने बता दिया कि खींवसर में अब केवल बातों की राजनीति नहीं विकास की बात होगी.चुनाव के लिए पार्टी ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर मैं पूरी तरीक़े से खरा उतरूंगा.ये चुनाव भाजपा नहीं बल्कि खींवसर की जनता चुनाव लड़ने जा रही है. हनुमान बेनीवाल के खींवसर किले को फतह करने के लिए भाजपा ने हनुमान बेनीवाल के पुराने सहयोगी रहे और पिछली बार के कैंडिडेट को ही चुनावी मैदान में उतारा है. 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे. रेवंतराम डांगा पर भाजपा ने फिर से भरोसा किया है. कभी हनुमान बेनीवाल के ख़ास नेता रहे रेवंतराम डांगा पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आर एलपी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.  हनुमान बेनीवाल के सामने चुनाव लड़ा था. केवल 2069 वोटों से चुनाव हारने वाले रेवंतराम डांगा के नाम पर पार्टी के सभी नेताओं की पहले दिन से ही सहमति थी. 2018 में RLP का गठन हुआ तो रेवंतराम डांगा पार्टी में थे. वो तीन बान सरपंच रह चुके हैं. लंबे समय तक हनुमान बेनीवाल के साथ थे. इसके बाद हनुमान बेनीवाल से अलग हो गए. 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. उन्होंने हनुमान बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी. केवल 2059 वोटों से चुनाव हार गए. अब बीजेपी ने उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाया है.