कोटा में 131वे राष्ट्रीय दशहरा मेला में शुभ मुहर्त पर रावण दहन से पूर्व रावण का पुतला खड़ा करते समय क्रेन का पट्टा टूटने से रावण अंग भंग हो गया। रावण का धड़ 15 फिट ऊँचाई से धड़ाम कर नीचे गिरा। जिससे रावण का सिर धड़ से अलग हो गया और पीछे का हिस्सा भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। गनीमत रही कि हादसे में किसी प्रकार की जनहानि नही हुई । जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया। हादसे के दौरान नगर निगम की निर्माण अनुभाग की पूरी टीम व 180 मजदूर मौके पर मौजूद थे।

कोटा दशहरा मेला में रावण दहन के लिए नगर निगम कोटा दंक्षिण की ओर से 80 फीट का रावण व 60-60 फीट के मेघनाथ व कुम्भकरण के पुतलों का निर्माण कराया था। दिल्ली की फर्म अनीस द्वारा रावण के पुतले को टुकड़ो में तैयार किया गया था। जिन्हें बाद में जोड़ा गया। इसमें 16 फीट का सिर, 40 फीट का धड़, 6 फीट का ताज, 22 फीट का पैर और 15 फीट का लहंगा तैयार किया गया। विजयदशमी से एक दिन पूर्व मेला ग्राउंड में रावण के कुनबे को खड़ा किया जाना था।

जिसके लिए नगर निगम निर्माण अनुभाग की पूरी टीम सुबह से ही रावण के कुनबे को खड़ा करने की तैयारी में लगा हुआ था। रावण के पुतले को खड़ा करने के लिए यहां 105 फीट का पेड़ा बनाया गया साथ ही 180 मजदूर व दो हाइड्रोलिक मशीन की मदद ली गई। इसी दौरान रात करीब 9 बजे के लगभग क्रेन से रावण का धड़ खड़ा करते समय अचानक क्रेन का पट्टा टूट गया। जिससे रावण का धड़ 15 फीट ऊँचाई से वहां बने पेड़े पर गिरा। जिससे पेड़े में बड़ा छेद हो गया रावण का पुतला पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। उसका सिर धड़ से अलग हो गया और पीछे का हिस्सा भी डेमेज हो गया। हादसा के दौरान मौके पर भगदड़ मच गई। गनीमत रही कि हादसे में किसी को चोट नही आई जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया।

हादसे की सुचना पर मेला समिति अध्यक्ष सहित निगम के अधिकारी मौके पर पहुचे:

मेला ग्राउंड में रावण खड़ा करते समय हादसा होने की सुचना जैसे ही मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी को लगी तो वह भी तुरंत मेला अधिकारी जवाहर लाल जेन सहित अन्य अधिकारी व समिति के सदस्यों के साथ मौके पर पहुचे ओर वहां मौजूद अधिकारियो से हादसे के संबंध में जानकारी जुटाई। 

देश के 5 प्रमुख दशहरा मेला में शामिल कोटा दशहरा:

भारत में दशहरे का त्योहार हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक परंपराओं और मेलों के आयोजन के लिए भी जाना जाता है। देश के कुछ स्थानों पर दशहरे के अवसर पर विशेष मेले लगते हैं, जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में ही प्रसिद्ध हैं। इनमे छत्तीसगढ़ के बस्तर के दशहरा मेला, मैसूर का दशहरा मेला, कर्नाटक के मदिकेरी का दशहरा मेला, कुल्लू का दशहरा मेला व कोटा का दशहरा मेला प्रमुख है जो अपनी विशिष्टता और भव्यता के लिए काफी मशहूर हैं।