बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि आदिवासियों के लिए जनगणना में अलग से 'धर्म कोड' का कॉलम बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा रोत ने आने वाले उपचुनाव में चौरासी और सलूंबर विधानसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि हम बिना किसी गठबंधन चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. रोत सोमवार को डूंगरपुर के सर्किट हाउस में मीडिया से रूबरू हुए. इस दौरान उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 'डबल इंजन' की सरकार बने 10 माह का समय हो गया है, लेकिन  मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक को पता नहीं है कि आखिर उन्हें करना क्या है. संसद रोत ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा, चिकित्सा के हालात बदतर हैं, बेरोजगारी चरम पर है. मनरेगा में लेबर्स को भुगतान नहीं हो पा रहा, पिछले 3 साल से छात्रवृत्ति बकाया चल रही है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में पेंशन नहीं मिल पा रही है. वर्तमान में जनता त्रस्त है और योजनाएं ठप पड़ी है. राजकुमार ने कहा कि टीएडी विभाग के हॉस्टल में 3 साल तक वार्डन को लगाए रखने का नियम हैं. लेकिन उसके बावजूद वार्डन हॉस्टल में जमे हुए है. विधायक रहते विधानसभा में मुद्दा उठाया था लेकिन जिले के एक पूर्व मंत्री ने दुकान लगाकर लिफाफे ले लिए और मामले का दबा दिया. राजकुमार ने कहा कि आदिवासियों की अलग पूजा पद्धति है. आदिवासी हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई नहीं है, लेकिन आदिवासियों की कोई पहचान नहीं होने से अपनी परिस्थिति के अनुसार धर्म अपना रहे हैं. उन्होंने सरकार से आदिवासियों को उनकी अपनी आईडेंटीटी के लिए जनगणना में अलग से धर्म कोड की मांग की है.