राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत पहले से ही एक हिंदू राष्ट्र है, उसको और उन्नत, सामर्थ्यवान और बलशाली बनाना है। उन्होंने शाखा से समाज को जोड़ने के विषय में सूत्र बताते हुए कहा कि अपरिचित से परिचय बढ़ाना, परिचित को मित्र बनाना, मित्र को स्वयंसेवक बनाना चाहिए। नित्य शाखा से ही समाज के लिए योग्य स्वयंसेवक निर्मित होंगे। भागवत ने चार दिवसीय बारां प्रवास के दौरान यह बात कही।भागवत प्रवास के दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह बारां शहर के मांगरोल रोड स्थित प्राचीन प्यारेराम जी मंदिर के देवदर्शन के लिए पहुंचे। वहां उन्होंने मंदिर दर्शन के बाद इसके इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। महंत ने बताया कि मंदिर का इतिहास तीन शताब्दी पुराना है। जहां महंत प्यारेरामजी ने अनंत भगवान की प्रतिमा स्थापित कर तीन परकोटे वाले विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था ।भागवत ने देव दर्शन के बाद परिसर में नित्य लगने वाली शिव मंदिर तरुण व्यवसायी शाखा में स्वयंसेवकों के साथ एक घंटे के निश्चित कार्यक्रमों में भाग लिया। शाखा के सभी स्वयंसेवकों ने शारीरिक कार्यक्रम, व्यायाम योग, प्रहार, सूर्य नमस्कार, खेल के बाद बौद्धिक कार्यक्रमों में सांघिक सुभाषित, अमृतवचन और गीत का गायन किया। जिज्ञासा समाधान में शाखा के स्वयंसेवकों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उतर देते हुए उन्होंने बताया कि भारत पहले से ही एक हिंदू राष्ट्र है, उसको और उन्नत, सामर्थ्यवान, बलशाली बनाना है। उन्होंने शाखा से समाज को जोड़ने के विषय में सूत्र बताते हुए कहा कि अपरिचित से परिचय बढ़ाना, परिचित को मित्र बनाना, मित्र को स्वयंसेवक बनाना चाहिए। नित्य शाखा से ही समाज के लिए योग्य स्वयंसेवक निर्मित होंगे।

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