किसानों के जो 3 कृषि कानून रोक दिए गए, वे वापस लाने चाहिए। किसानों को खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। हमारे किसानों की समृद्धि में ब्रेक न लगे।'

हिमाचल प्रदेश की मंडी से सांसद कंगना रनोट का ये वह बयान हैं, जिसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच किसान आंदोलन का मुद्दा फिर से जिंदा हो गया है। BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना से किनारा करते हुए कहा था कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है, उनका बयान पार्टी की सोच नहीं है। मगर, इससे किसानों का गुस्सा फूट पड़ा।किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ का कहना है कि कंगना रनोट का फिजूल बातें करने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। किसानों को जानबूझकर परेशान करने की कोशिश की जा रही है। ये किसानों को जितना प्रताड़ित करेंगे, उतना बुरा परिणाम इन्हें हरियाणा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा- केंद्र कानूनों को वापस ले चुकी है। फिर भी उनकी सांसद उन कानूनों पर बयान देती हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।कोई नीतिगत मामलों पर बयान दे कर यह कैसे कह सकता है कि यह उसकी व्यक्तिगत राय है? बीजेपी का इस मुद्दे पर भंडाफोड़ हो गया है।रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने कहा- किसानों ने अपनी शहादत देकर MSP और मंडी प्रणाली को BJP की तानाशाही सरकार से बचाया। काले कानून वापस लाने के मंसूबे वाले भाजपा सांसदों को हमारी चुनौती है कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कोई ऐसी ताकत नहीं, जो इन्हें लागू कर सके।