हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद देश भर में मंदिरों के प्रसादों की गुणवत्ता की जांच होनी शुरू हो गई. वहीं राजस्थान में भी इसका असर दिखा और प्रदेश के बड़े मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता चेक करने के लिए अभियान शुरू किया गया. राजस्थान में प्रसाद की गुणवत्ता के लिए 'भोग सर्टिफिकेट' दिया जाता है. जिसमें मात्र मोती डूंगरी मंदिर को भोग सर्टिफिकेट प्राप्त था. हालांकि 54 मंदिरों ने भोग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है.राजस्थान के 54 मंदिरों ने बॉक्स सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है जिसमें अब तक प्रदेश के 14 मंदिरों को फ़ूड डिपार्टमेंट के द्वारा भोग सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है. राजस्थान के कई प्रसिद्ध मंदिरों में भोग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है. लेकिन मोती डूंगरी, अक्षय पात्र टेंपल जयपुर, इस्कॉन टेंपल जयपुर, अजमेर के किशनगढ़ का श्री राधा महादेव मंदिर, भरतपुर का श्री बांके बिहारी जी मंदिर का प्रसाद खाने योग्य है. प्रदेश प्रदेश के गुरुद्वारा भी भोग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने में पीछे नहीं है अलवर के गुरुद्वारा सुखधाम और सुखसागर को भोग सर्टिफिकेट जारी किया गया है तो वहीं पर अजमेर गुरु नानक साहिब को भोग सर्टिफिकेट जारी किया गया है.गौरतलब है कि राजस्थान में दिनांक 7 और 8 अगस्त 2024 को एक विशेष निरीक्षण अभियान चला कर 2284 खाद्य कारोबार कर्ताओं को इंप्रूवमेंट नोटिस जारी किये गए. खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा की गई इस गतिविधि को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स लंदन में वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में शामिल किया जा रहा है.