बूंदी जिले के केशवराय पाटन  पंचायत समिति के अधिन कार्यरत महावीर शर्मा, कनिष्ठ सहायक ग्राम पंचायत, बसवाडा धरावन की मृत्यु कोविड-19 से राजकीय कार्य करते हुये संक्रमित हो जाने से मेडिकल काँलेज, कोटा में दिनांक 18.05.2021 हुयी है । केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के द्वारा ऐसे मृत कार्मिक के परिजनों को अनुग्रह राशि तत्काल कार्यवाही कर भुगतान के आदेश जारी किये गये थे। पंचायती राज विभाग द्वारा 50.00 लाख का भुगतान दिनांक 14.03.2024 को 02 वर्ष 10 माह बाद भुगतना किया गया। इस राशि के आदेश मे ही राजस्थान सेवा नियम ( पेंशन )नियम 1996 के नियम 75(¡)(a) के अन्तर्गत 20.00 बीस लाख रूपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि देय का प्राँवधान है। यह राशि आज तक भुगतान नही हुयी है। इस राशि के भुगतान की कार्यवाही के अन्तर्गत स्वर्गीय कार्मिक की पत्नी से निर्धारित प्रपत्र -17 व अन्य दस्तावेज तीन बार लेकर पंचायत समिति द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, बूंदी को भिजवाऐ गये है। सी.ई.ओ., जिला परिषद, बूंदी द्वारा उक्त आवेदन अतिरिक्त आयुक्त एवं शासन उप सचिव (1) ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ( पंचायती राज) शासन सचिवालय, जयपुर को भिजवाया जाना बताया गया है।
     कोविड-19  से मृत कार्मिक की पत्नी को केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा देय सहायता राशि भुगतान करवाने हेतु समय समय पर प्रधानमंत्री मंत्री, भारत सरकार, मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार, मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जिला कलेक्टर, बूंदी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, बूंदी, विकास अधिकारी, के. पाटन को बार बार पत्रों के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करवाने के पश्चात भी समय पर सहायता राशि का भुगतान न होना प्रशासनिक व्यवस्था पर  चिन्तन की आवश्यकता है।
   मूलचंद शर्मा, समाजसेवी तलवास द्वारा पुनः सुधांश पंत , मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार व जिला कलेक्टर, बूंदी व सी.ई.ओ., जिला परिषद, बूंदी को सरकार द्वारा देय अनुग्रह राशि 20.00 बीस लाख की स्वीकृति एवं भुगतान करवाऐ जाने का अनुरोध किया है।
   राज्य सरकार व केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे प्रकरणों मे यथाशीघ्र सहायता पहुंचाने के आदेशों के बावजूद विभाग द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यरत  कर्मचारी के परिजनों को  समय पर भुगतान नही करवाया जाना विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ साथ सरकार के लिऐ भी चिन्तन करने की बात है। यह स्थिति विचारणीय है। ऐसे प्रकरणों मे भी सहयोग न करना लोकसेवक कहलाने में भी मैं शर्म की बात महशुस करता हूँ ।
    राज्य सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसे लम्बित प्रकरणों पर संज्ञान लेने की जरूरत है।