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फ़रीद खान

कोटा दशहरा मेले में कोई कवि नहीं करेगा काव्य पाठ, राजस्थानी भाषा की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं: दुर्गा दान गौड़

कोटा।नगर निगम प्रशासन द्वारा 131वां राष्ट्रीय मेला दशहरा को लेकर राजस्थानी कवि सम्मेलन का विवाद छिड़ गया है जिसे लेकर मंगलवार को वरिष्ठ कवियों ने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मेला दशहरा आयोजन पर गंभीर सवाल उठाए और कार्यक्रमों को लेकर अपना विरोध जाहिर किया। कवि निशामुनी गौड़ ने बताया कि वर्षों से मेला दशहरा के विजय श्री रंगमंच पर राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन होता आया है। नवनिर्वाचित मेला समिति ने कवि सम्मेलन के बैनर से राजस्थानी भाषा का नाम हटाएं जाने के प्रस्ताव की निंदा करते हुए प्रशासन और मेला समिति से मांग की है मेला आयोजन के पोस्टर बैनर को राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन का नाम दिया जावें, नहीं लगाया तो कोई भी कवि मेला मंच पर काव्य पाठ नहीं करेगा। ऐसा संकल्प लिया गया। नवनिर्वाचित समिति से आग्रह किया गया कि अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन के बैनर को भंग ना करके और इस बैनर के तहत ही राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन को करवाया जाएंं। इस वर्ष मेला दशहरा 3 से 28 अक्टूबर तक आयोजित होगा। पूर्व में तीन कवि सम्मेलन होते रहे लेकिन इस बार तीनों को एक कर दिया गया है। जिसे लेकर प्रदेशभर का साहित्यिक वर्ग निराश हैं। 

वरिष्ठ कवि दुर्गा दान गौड़ ने कहां जहां एक और सरकार राजस्थानी कवि सम्मेलन को मान दिलाने के प्रयास कर रही है तो यह दूसरी मेला समिति अपमानित करने का कार्य किया जा रहा है यह असहनीय है। यहां आने वाली पीढियां के लिए गलत संदेश होगा। ये राजस्थानी भाषा और कवियों की उपेक्षा है। बर्दास्त नहीं करेंगे। राष्ट्रीय दशहरा मेला समिति को ऐसा काम नहीं करना चाहिए। पत्रकार वार्ता को सुरेश अलबेला इत्यादि ने संबोधित किया और ध्वनि मत संकल्प को दोहराया। इस मौके पर कवि मुकुटमणि राज, अंबिका दत्त चतुर्वेदी, गोविंद हांकला, विश्वामित्र दाधीच, भूपेंद्र राठौर, रामकरण प्रभाती गौरी शंकर सोनगरा, दिलीप सिंह हरप्रीत, ओम सोनी मधुर आदि साहित्यकार उपस्थित रहे।