अथर्वा आदित्य सेवा संस्थान की ओर से आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन एवं सम्मान समारोह का रविवार को गीता भवन में समापन हुआ। संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आदित्य कुमार शास्त्री ने बताया कि महासम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में आयुर्वेद, वास्तु समेत विभिन्न विषयों पर अलग- अलग सत्र आयोजित किए गए। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एलेन करियर इंस्टिट्यूट के निदेशक गोविंद महेश्वरी थे। वहीं जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी गुना के ज्योतिष हस्तरेखा विशेषज्ञ प्रो. अमित कुमार राम, दाऊदयाल आयुर्वेद औषधालय के पूर्व अधीक्षक पत्तासिंह सोलंकी भी अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आदित्य कुमार शास्त्री ने बताया कि महासम्मेलन में गीतिका शर्मा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। अमित कुमार राम को एशिया ज्योतिष गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 110 ज्योतिष विशेषज्ञों को वास्तु प्राइड एवं ज्योतिष गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया। 

गोविंद महेश्वरी ने संबोधित करते हुए कहा कि ज्योतिष हमारा प्राचीन विज्ञान है। जो समय की गणना पर आधारित है। समय की गणना में अगर चूक होगी तो ज्योतिष की गणना में भी दोष उत्पन्न होगा। ज्योतिष के द्वारा हजारों वर्ष बाद की सटीक काल गणना करना भी संभव है। यह हमारी प्राचीन संस्कृति और उन्नत सभ्यता का परिचायक है। 

आदित्य कुमार शास्त्री ने वास्तु की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में वास्तु शास्त्र सबसे पुरानी प्रथाओं में से एक है। सदियों से, वास्तुशास्त्र को हमने समृद्ध विरासत के तौर पर सहेजा है। जिसे पारंपरिक ज्ञान और प्रकृति के अध्ययन का उपयोग करके विकसित किया गया था। चुंबकीय बल के साथ गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करके लोग अपने जीवन से नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करते रहे हैं। यह पंच तत्वों पर आधारित है। 

पत्तासिंह सोलंकी ने कहा कि आयुर्वेद व्यक्ति के मन, शरीर, आत्मा और पर्यावरण के बीच संतुलन पर केंद्रित है। आयुर्वेद हमारी सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। इसकी उत्पत्ति भारत में हुई और अब भी लोग बड़ी संख्‍या में इसका उपयोग कर रहे हैं। आयुर्वेदिक उपचार में आहार परिवर्तन, जड़ी-बूटियाँ, मालिश, योग और ध्यान शामिल हैं। आज के समय में, जब जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं, आयुर्वेद का महत्व और भी बढ़ गया है। आयुर्वेद की प्राचीन विधियों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर प्रभावी चिकित्सा पद्धति विकसित की जा सकती है।

इस दौरान ग्वालियर के हस्तरेखा विशेषज्ञ महेश गुप्ता ने कईं लोगों के हाथ देखकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। महासम्मेलन में नवीन पाराशर, काशी के विद्वान शुभम झा, हरीश रायचूर, अनिता दास, केशव सांची हर, आरती शर्मा, आशीष दाधीच, महेश गुप्ता ने भी संबोधित किया।