राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया l सह जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया की इसमे विश्वविद्यालय के शिक्षकों और स्टाफ सदस्यों, छात्र-छात्राओं द्वारा भाग लिया गया। कुलपति प्रोफेसर एस.के.सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि बहुत ही गर्व का विषय है की भारत अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने जा रहा है। यह महत्वपूर्ण अवसर चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण इतिहास में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित होगा। अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती हुई प्रगति की याद में 23 अगस्त को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया गया है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की घोषणा अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में भारत की तकनीकी प्रगति का जश्न मनाने का दिन है। यह दिन अंतरिक्ष अन्वेषण में असंभव प्रयासों को हासिल करने की भारत की क्षमता की याद दिलाता है, जिसमें चंद्रयान-3 की सटीकता और दृढ़ता का उदाहरण है। इसके अलावा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का उद्देश्य भारत के युवाओं को प्रेरित करना है, उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
डीन फैकल्टी अफेयर प्रोफेसर ए.के. द्विवेदी ने बताया कि भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक पूर्ण किया था। इस सफलता को आम नागरिक तक पहुंचाने के लिए आज के दिन राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया गया। और बताया कि आने वाले वर्षों में भी भारत चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। इस कार्यशाला के विषय पर इलेक्ट्रॉनिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लोकेश थारानी ने कहा कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत उन्नति करेगा और इसके कारण भारत में बहुत रोजगार के मार्ग उत्पन्न होंगे। एनएसएस चीफ कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश भट्ट एवं दिनेश सोनी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। एनएसएस छात्र वॉलिंटियर्स हेरंब पारीक, मुकेश पटेल, श्रेष्ठ शर्मा ,शक्ति सिंह मीणा ,सुभाष मेघवाल का भी योगदान सराहनीय रहा।