हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सट्टा बाजार का सुरूर अपने पूरे शबाब पर है। विधानसभा की 90 सीटों वाले इस राज्य में जीत हार पर बाजी भी लगनी शुरू हो गई है। चुनाव का परिणाम 4 अक्टूबर को आएगा लेकिन सट्टा बाजार में भविष्य पर दांव खेला जा रहा है। फलौदी, डबवाली से लेकर मुंबई के सट्टा बाजार तक मामला गर्म है। इस बार कांग्रेस जीत रही है या भाजपा इसका भी अनुमान लगना शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी पर भी दांव इस बार बड़ा है। सट्टा बाजार ने चुनाव से पहले ही राज्य में हलचल मचा दी है। मतदान यहां 1 अक्टूबर को होने वाला है। इसमें इस बार सट्टा बाजार ने हरियाणा में कांग्रेस को 56 से 58 सीटें दे रहा है। 90 सीटों वाली इस विधानसभा में इस बार भाजपा का चुनावी विधान गड़बड़ता दिख रहा है। सट्टा बाजार इस बार भाजपा को 24 से 26 सीटें ही दे रहा है। जननायक जनता पार्टी का इस बार विधानसभा चुनाव में बाजार सट्ट नजर आ रहा है। 2018 में बनी इस पार्टी ने हरियाणा में 14 फीसदी वोट के साथ 10 विधानसभा सीटें हासिल की थी। चुनाव से पहले ही सात विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद से पूरी पार्टी ही टूट गई है। हरियाणा में उसी पार्टी की सरकार रही है जिसकी पार्टी केंद्र में रही है। इस बार यह परिपाटी सट्टा बाजार के अनुसार बदलती नजर आ रही है। जिस तरह से बाजार प्रतिक्रिया दे रहा है। ऐसे में यह बदलाव होता हुआ नजर आ रहा है। चुनाव के नतीजे यूं तो 4 अक्टूबर को घोषित होंगे लेकिन सट्टा बाजार का परिणाम पहले ही नजर आ रही है। अब यह कितना सही और कितना गलत है यह तो भविष्य के गर्भ में है। हरियाणा के चुनाव को असर केवल इसी प्रदेश पर नहीं बल्कि पूरे देश पर भी होगा। इस चुनाव के बाद पार्टियों में कई बदलाव भी होंगे। फिर चाहे भारतीय जनता पार्टी की बात हो या राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की बात हो। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या हरियाणा की जनता क्या करती है। वह सट्टा बाजार को सही साबित करती है या फिर नतीजे पलट देती है।