हमारे स्मार्टफोन में बहुत से ऐप होते हैं जो अलग-अलग काम के लिए डाउनलोड किए जाते हैं। कभी-कभी आप किसी ऐसे प्लेटफॉर्म से कोई गलत ऐप डाउनलोड कर लेते है जो आपके डिवाइस खतरा बन सकती है। इसलिए सभी ऐप स्टोर कस्टमर्स को अनऑफिशियल सोर्स से ऐप डाउनलोड करने से मना करते हैं। आइये जानते हैं कि ऐसा करने से क्या नुकसान हो सकता है।

हमारे स्मार्टफोन में ढेर सारे ऐप्स होते हैं, जो अलग-अलग काम के लिए प्रयोग किए जाते हैं। अगर आप एड्रॉइंड यूजर है तो आप Google Play Store से इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं। वहीं अगर आईफोन यूजर्स Apple App Store का इस्तेमाल करते हैं।

मगर कभी-कभी हम बिना किसी बात का ध्यान दिए किसी भी अनजानें प्लेटफॉर्म या सीधे इंटरनेट से कोई भी ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। ऐसी गलती आपको भारी पड़ सकती है और आपको वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

प्रभावित हो सकती है सिक्योरिटी

  • जैसा कि हम जानते हैं कि Google Play या Apple App Store के बजाय सीधे इंटरनेट से ऐप डाउनलोड करना, जरूरी सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है।
  • लोग खासकर लोकप्रिय ऐप के फ्री या संशोधित वर्जन की चाह में ऐसा करते हैं।
  • यूजर सुरक्षा जोखिमों के बारे में सोचे बिना उन्हें डाउनलोड कर लेते हैं।

    अनऑफिशियल सोर्स से डाउनलोडिंग

    • अनऑफिशियल सोर्स में अक्सर आधिकारिक ऐप स्टोर में चेकिंग की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
    • Google Play और Apple App Store पर ऐप को लाने से पहले मैलवेयर, स्पाइवेयर और अन्य दुर्भावनापूर्ण कोड के लिए ऐप को स्कैन किया जाता हैं।
    • इससे आपके डिवाइस और पर्सनल डेटा को साइबर खतरों से बचाने में मदद मिलती हैं।
    • जब आप इंटरनेट से ऐप डाउनलोड करते हैं, तो आप इन सुरक्षा की जांच प्रभावित होती है और जोखिम का खतरा बढ़ जाता है।

    इन ऐप में हो सकते हैं मैलवेयर

    • अगर आप किसी अनऑफिशियल सोर्स से कोई ऐप डाउनलोड करते हैं तो इसमें सुरक्षा संबंधी समस्याएं हो सकती है।
    • इसमें
    • ये ऐप मैलवेयर, पहचान की चोरी और पर्सनल जानकारी को एक्सेस करने का कारण बन सकते हैं।
    • ये ऐप डेटा चुरा सकते हैं, आपकी एक्टिविटी को ट्रैक कर सकते हैं या यहां तक कि आपके डिवाइस को कंट्रोल भी कर सकते हैं। इसके अलावा मैलवेयर इंस्टॉल हो जाने के बाद इसे हटाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • इसके लिए पेशेवर हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है, जिससे संभावित रूप से डेटा हानि और अतिरिक्त लागत हो सकती है।