राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे इन दिनों मेवाड़ के दौरे पर हैं. उनके इस दौरे को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार एकदम से गर्म हो गया है. वहीं, शुक्रवार को राजे भगवान ऋषभदेव के दर्शन के लिए पहुंची. यहां ऋषभदेव मंदिर में जैन संत आचार्य पुलक सागर जी महाराज के ज्ञान गंगा महोत्सव में शामिल हुईं. साथ ही मौके पर उन्होंने बड़ा बयान दे दिया. राजे ने कहा कि जैन धर्म का मूल सिद्धांत हिंसा रहित जीवनशैली है, लेकिन हिंसा की परिभाषा सिर्फ हथियार से वार या फिर किसी को मारना-पीटना नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी का दिल दुखाना या फिर दिल तोड़ना और आत्मा को सताना भी एक तरह की हिंसा है. पूर्व सीएम ने कहा कि सियासत में सबसे बड़ी धन दौलत जनता का प्यार है, जो उन्हें निरंतर मिलता रहा है. पूर्व सीएम ने कहा कि जैन धर्म का सिद्धांत जीओ और जीने दो है, लेकिन कई लोगों ने इसे उलट दिया है. जीओ और जीने मत दो यानी खुद तो जीओ, लेकिन दूसरों को जीने मत दो. ऐसा करने वाले भले ही थोड़े समय खुश हो सकते हैं, लेकिन वे हमेशा सुखी नहीं रह सकते. ऐसा इसलिए क्योंकि आप जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे भी. राजे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए सभी लोग भारत के विकास में अपना योगदान दें. उन्होंने दो पंक्तियां सुनाई, 'काश ऐसी बारिश आए, जिसमें अहम डूब जाए. मतभेद के किले ढह जाएं. घमंड चूर-चूर हो जाए. गुस्से के पहाड़ पिघल जाए. नफरत हमेशा के लिए दफन हो जाए और सब के सब मैं से हम हो जाएं.'