श्रावणी तीज मेला महोत्सव आयोजन समिति की ओर से मंगलवार को कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अतिथि वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के अध्यक्ष मुकेश गालव, संरक्षक पूर्व महापौर सुमन श्रृंगी, सिंधी धर्मशाला अध्यक्ष हरीश जगवानी थे।
काव्य पाठ की शुरुआत डॉ. फरीद नक्शबंदी ने मां शारदे की आराधना से की। उन्होंने सफल है जीवन उन्हीं का, जीवन जो तेरे चरणों में आ गए हैं, कटे हैं उनके दुखों के बंधन जो तेरे चरणों में आ गए हैं... सुनाकर तालियां बटोरी। ओज कवि रामकरण प्रभाती ने देशभक्ति रचना "कब तक शीश कटाते रहेंगे, कब तक खूनी जंग लड़ते रहेंगे.." प्रस्तुत की। मशहूर गजलकार वेदप्रकाश ने "एक तेरा इशारा नहीं है, वरना क्या कुछ हमारा नहीं है.." के द्वारा दाद बटोरी।
मशहूर शायर अफजल अली अफजल ने "अभी हम लड़ेंगे जात के नाम पर, एक झूठा कोई वाकया चाहिए.. गाई। कवयित्री अभिलाषा थोलंबिया ने "इतने टुकड़ों में हमें क्यों बांटते हो, अच्छे के लिए ही हमें काटते हो.." सुनाया। कवि सम्मेलन का संचालन शायर हनीफ आशिद ने किया। उन्होंने "वतन पर जी लुटा दे बस यही अरमान रहता है, हम हिंदी हैं हमारे दिल में हिंदुस्तान रहता है.. के द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल दी।
कार्यक्रम में कवि चांद शेरी, महेंद्र नेह, रामेश्वर रामू भैया, कवयित्री अलका दुलारी जैन कर्मयोगी, शबाना सहर, नैना नसीब, शायर अजहर उज्जैन, ए जमील कुरैशी, हनीफ आशिक, फानी जोधपुरी ने भी कविता पाठ किया।
इस अवसर पर आयोजन समिति अध्यक्ष बसंत भरावा, संयोजक श्याम भरावा, लक्ष्मीनारायण गर्ग, नरेश कारा, अनिल शर्मा उपस्थित रहे।