नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पैकेज्ड फूड (पैकेज्ड खाद्य पदार्थ) पर चीनी, नमक व संतृप्त वसा (सैचुरेटेड फैट) आदि की मात्रा या स्तर दर्शाने के लिए सामने की ओर एक चेतावनी लेबल प्रदर्शित करने की मांग पर विचार का मन बनाया है। कोर्ट ने पैकेज्ड खाद्य पदार्थ में सामने चेतावनी लेबल लगाने की अनिवार्यता का निर्देश मांगने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
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27 अगस्त को होगी सुनवाई
मामले में 27 अगस्त को फिर सुनवाई होगी। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गत 29 जुलाई को 3 एस एंड अवर हेल्थ सोसाइटी संस्था की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए। संस्था ने वकील राजीव शंकर द्विवेदी के जरिये दाखिल याचिका में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसे लेबल को अनिवार्य बनाना जरूरी है।
याचिका में मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इस मुद्दे का संज्ञान लेकर पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में चेतावनी लेबल के संबंध में उचित नियम निर्देश जारी करे। याचिका में तेजी से बढ़ते मधुमेह रोग की ओर ध्यान खींचते हुए दावा किया गया है कि यह चुपचाप बढ़ती महामारी हो गई है। लाखों लोग प्रभावित हैं, जिससे हेल्थ केयर सिस्टम पर बहुत भार बढ़ रहा है।
डायबिटीज के बढ़ते मामलों का हवाला
यह भी कहा गया है कि भारत और दुनिया में गैर संचारी रोगों में व्यापक विस्तार हुआ है ये बच्चों और वयस्क दोनों को प्रभावित कर रहे हैं। 70 फीसदी से ज्यादा मौतें इन बीमारियों से हो रही हैं, जिसमें जीवनशैली की बीमारियां शामिल हैं। भारत में इन रोगों से साल भर में 60 लाख लोगों की मौत होने का दावा किया गया है। चौंकाने वाला तथ्य है कि देश में हर चौथा व्यक्ति मधुमेह की चपेट में आ रहा है, जो कि मुख्यत: मोटापे से होती है।