इनफर्टिलिटी (Infertility) एक ऐसा मुद्दा है, जिसकी खुल कर चर्चा करने में आज भी संकोच किया जाता है। खास तौर से मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) यानी पुरुष नपुंसकता के बारे में खुल कर बात न होने के कारण कई लोगों को इससे जुड़ी जरूरी और सटीक जानकारी का अभाव रहता है और समय रहते इसका सही इलाज करने में देरी हो जाती है।

भारत में तेजी से मेल इन्फर्टिलिटी के केस बढ़ते जा रहे हैं। लगभग हर 6 में से 1 कपल इनफर्टिलिटी का शिकार हो रहा है और इनमें भी अधिकतर मेल इमफर्टिलिटी ज्यादा रहती है। ऐसे में जरूरत है मेल इनफर्टिलिटी के संकेत, लक्षण और निदान की सटीक जानकारी होनी चाहिए। ऐसे में आज ही आर्टिकल में हम आपको बताएंगे बढ़ती मेल इनफर्टिलिटी के कारणों के बारे में-

लो स्पर्म काउंट

संभव है कि पुरुषों के स्पर्म काउंट की संख्या ही कम हो। एक टिपिकल स्पर्म के सैंपल में मिलियन स्पर्म पाए जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या कम होने से मेल इनफर्टिलिटी बढ़ती है। स्पर्म की क्वालिटी भी कंसीव करने में बहुत मायने रखती है।

रिप्रोडक्टिव सिस्टम में समस्या

मेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम में वेरिकोसील (स्क्रोटम में बढ़ी हुई वेन) जैसी आम समस्या के कारण भी मेल इनफर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

इन्फेक्शन

वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण भी स्पर्म की क्वालिटी में गिरावट आती है। इन इन्फेक्शन में एपिडिडाइमिस का संक्रमण, सेक्सुअली ट्रांसमिट डिजीज जैसे गोनोर्हिया और एचआईवी शामिल हैं।

वातावरण

वातावरण में मौजूद कुछ फैक्टर भी स्पर्म के प्रोडक्शन और इसकी क्वालिटी को कम करते हैं। हीट, इंडस्ट्रियल टॉक्सिन, केमिकल, लीड जैसे हैवी मेटल एक्सपोजर, एक्सरे या रेडिएशन, सौना या हॉट टब का लगातार इस्तेमाल कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो स्पर्म काउंट और क्वालिटी में गिरावट कर सकते हैं।

इजेकुलेशन डिसऑर्डर

रिट्रोगेड इजेकुलेशन जैसी स्थिति जिसमें सीमेन पीनिस से बाहर निकलने की जगह ब्लैडर में चला जाता है या समय से पहले इजेकुलेशन जिसे प्रीमैच्योर इजेकुलेशन भी कहते हैं, ये स्पर्म को एग तक पहुंचने में असमर्थ बना देते हैं, जिससे मेल इनफर्टिलिटी बढ़ती है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।