ढाका। Bangladesh Crisis: आरक्षण के मुद्दे को लेकर शुरू हुए बवाल के बाद बांग्लादेश में अशांति बनी हुई है। पड़ोसी देश में चल रही उथल-पुथल के बीच प्रमुख छात्र संगठनकर्ता अकरम हुसैन ने अवामी लीग के पिछले 16 वर्षों के शासन को 'तानाशाही और फासीवादी' बताया। 

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हुसैन ने अवामी लीग के शासन को 'गायब होने, हत्याओं और अराजकता' से भरा काल बताया। उन्होंने कहा कि देशव्यापी अशांति जनता के बीच लंबे समय से पनप रही निराशा को दर्शाती है।

आम आदमी के लंबे समय से दबे गुस्से का नतीजा

हुसैन ने यह भी कहा कि इस शासन के पतन ने आम आदमी के लंबे समय से दबे गुस्से और भावनात्मक शिकायतों को बाहर निकाल दिया है। उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के तरीके की भी निंदा की। हुसैन ने दावा किया कि सोमवार को दोपहर में शेख हसीना के इस्तीफे और भारत के लिए रवाना होने के बाद हिंसा में और वृद्धि हुई है। 

ढाका ट्रिब्यून के साथ एक इंटरव्यू में हुसैन ने कहा कि 'सिर्फ इतना ही नहीं, तानाशाह शेख हसीना के भारत चले जाने के बाद पुलिस और उनके समर्थकों ने छात्रों की भीड़ पर हमला किया।'

पूरे पुलिस बल के नैतिक आधार को तोड़ दिया

हुसैन के अनुसार, पुलिस अशांति को शांतिपूर्ण तरीके से प्रबंधित करने के अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रही। उन्होंने कहा कि तानाशाह सरकार ने पूरे पुलिस बल के नैतिक आधार को तोड़ दिया है। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने निर्दोष छात्र भीड़ पर गोलीबारी की है। 

हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश में किसी भी तानाशाही के पतन के बाद आम तौर पर सार्वजनिक उल्लास और हिंसा होती है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे जल्दी से व्यवस्था बहाल करने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी संभावित स्थानों पर 24 घंटे सुरक्षा की व्यवस्था पहले ही कर दी गई है ताकि कोई भी उपद्रवी अराजकता न फैला सके।'