नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया कि पिछले छह वर्षों में मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों, राजनेताओं के खिलाफ मनी लांड्रिंग के कुल 132 मामले दर्ज किए गए हैं।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इन मामलों में अदालती सुनवाई कुल तीन मामलों में - एक 2020 में और दो 2023 में पूरी हुई। इन मामलों में 2020 में केवल एक दोषसिद्धि की सूचना मिली थी।

वित्त राज्य मंत्री ने राज्यसभा में लिखित उत्तर के हिस्से के रूप में ईडी द्वारा दर्ज इसीआइआर, विचाराधीन मामलों और दोषसिद्धि से संबंधित आंकड़े साझा किए। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग मामलों में दोषसिद्धि दर 93 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ईडी द्वारा 31 जुलाई तक कुल 7,083 ईसीआइआर या इन्फोर्समेंट केस इन्फार्मेशन रिपो‌र्ट्स दर्ज की गई हैं।

उन्होंने कहा, पीएमएलए के तहत दोषसिद्धि दर करीब 93 प्रतिशत है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून या पीएमएलए को एक जुलाई 2005 से लागू किया गया था। मंत्री ने यह भी कहा कि कानून के तहत 1.39 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति या तो जब्त की गई, फ्रीज की गई या कुर्क की गई है।

फिलहाल कोई प्रत्यक्ष कर प्रस्ताव लंबित नहीं

चौधरी ने कहा, बीसीसीआइ की कर छूट का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है। इसके अलावा इस संबंध में फिलहाल कोई प्रत्यक्ष कर प्रस्ताव लंबित नहीं है। बीसीसीआइ को खेल मंत्रालय की किसी भी योजना से कोई अनुदान नहीं मिलता है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, चौधरी ने कहा कि जुलाई 2017 से जून 2024 तक, गुजरात में जीएसटी चोरी के मामलों की संख्या 13,494 थी। जीएसटी चोरी की राशि लगभग 52,394 करोड़ रुपये थी, जिसमें 214 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

2014 से 2024 तक मनी-लांड्रिंग के 5,297 मामले दर्ज

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ो के अनुसार ईडी ने 2014 से 2024 तक मनी-लांड्रिंग के 5,297 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 40 में दोषसिद्धि हुई और तीन में बरी हो गए। 2016 से 2024 के बीच की अवधि में 375 आरोपितों को मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया।

नित्यानंद राय ने कहा कि 2014 और 2022 के बीच गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कुल 8,719 यूएपीए मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में 567 बरी हो गए और 222 को दोषी ठहराया गया।