नई दिल्ली। बांग्लादेश में तख्तापलट के कुछ ही घंटों के बाद राष्ट्रपति मुहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बड़ा फैसला लिया। राष्ट्रपति ने आदेश दिया कि जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (Khaleda Zia) को रिहा किया जाए।  

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बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया की रिहाई की खबर सामने आने के बाद अटकलें लगाई जा रही है कि उन्हें देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि,इस बात की अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। बता दें की बीएनपी का झुकाव कट्टरपंथी विचारधारा की ओर रही है। 

पति की मौत के बाद राजनीति में हुई एंट्री

शेख हसीन की कट्टर विरोधी माने जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनके पति 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की।खालिदा जिया की राजनीतिक करियर की शुरुआत तब हुई जब उनके पति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। 30 मई 1981 को तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद खालिदा जिया, 2 जनवरी 1982 को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) में शामिल हो गईं।  

जब सिर्फ 12 दिनों के लिए चल सकी सरकार

खालिदा जिया साल 1996 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं थीं। हालांकि, यह सरकार महज 12 दिनों तक ही चल सकी। आवामी लीग सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने चुनाव को अनुचित बताया। इसके बाद   कार्यवाहक सरकार स्थापित की गई और फिर आम चुनाव कराया गया। दोबारा कराए गए चुनाव में आवामी लीग विजयी हुई और पहली बार बार शेख हसीना प्रधानमंत्री बनीं।

2001 में दोबारा सत्ता में आईं थी खालिदा जिया

साल 2001 में हुए आम चुनाव में खालिदा जिया की पार्टी ने चार दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और वो दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने में सफल रहीं।  साल 2006 में खालिदा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के एक साल उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेज दिया गया। उन्होंने अपने खिलाफ दायर सभी मामले को राजनिति से प्रेरित करार दिया।

खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर पिछले कई दशकों से लड़ाई चल रही है। इसलिए दोनों नेताओं की लड़ाई को बांग्लादेश की जनता 'बेगमों की लड़ाई' कहती है।