पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में प्रशासन शहरों के संग अभियान में फर्जी पट्टों की जांच का दायरा और बढ़ेगा। सरकार आमजन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत मांगेगी, जिससे गलत तरीके से जारी पट्टों के ऐसे और मामलों को पकड़ा जा सके। नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक दिन पहले विधानसभा में विपक्ष को चुनौती दी थी कि आप अपनी विधानसभा क्षेत्रों में जाकर पता करो कि भूखंडधारी को 501 का पट्टा 50 हजार में मिला या 5 लाख में। अंतरआत्मा की सुनना और हकीकत बता सको तो बताना। इसके बाद विभाग के अफसर सक्रिय हो गए। मंत्री ने जनप्रतिनिधियों से भी ऐसे मामले बताने के लिए आग्रह किया है। राजस्थान सरकार को आशंका है कि ऐसे पट्टों की संख्या कई गुना मिलेगी। अभी तक जांच में 260 पट्टे निरस्त किए जा चुके हैं और 25 एफआईआर दर्ज हैं। सैटेलाइट इमेज का भी सहारा लिया जा रहा है, ताकि पता लगाया जा सके कि जिस दिन के आधार पर पट्टे जारी किए गए, उस दौरान वहां योजना या भवन था भी या नहीं। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (डीओआईटी) का भी सहयोग लिया जा रहा है।