आजकल महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत आम हो गई है, जिसके कारण उन्हें गर्भधारण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, हर बार गर्भधारण न होने का कारण महिलाओं की प्रजनन क्षमता कमजोर होना नहीं होता है, बल्कि कई बार यह पुरुषों में शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता और कमी के कारण भी हो सकता है। लेकिन हर बार हम हमेशा सिर्फ महिलाओं को ही गर्भधारण न कर पाने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि इसमें पुरुषों के शुक्राणुओं की भी बहुत अहम भूमिका होती है। अगर एक महिला पूरी तरह स्वस्थ है, लेकिन उनके पति का स्पर्म काउंट कम है, तो इसके कारण भी गर्भधारण नहीं हो पाता है। इसलिए डॉक्टर गर्भधारण या प्रजनन क्षमता के लिए जब उपचार प्रदान करते हैं, तो वह महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता के साथ-साथ पुरुषों के स्पर्म की भी जांच करते हैं। साथ ही, डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि एक शादी-शुदा जोड़े को प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले अपनी प्रजनन क्षमता की जांच जरूर करनी चाहिए। इसके अलावा, अक्सर यह सवाल भी पूछते हैं कि गर्भधारण के लिए एक पुरुष में स्पर्म काउंट की सामान्य मात्रा कितनी होती है? या महिला को प्रेग्नेंट करने के लिए पुरुष का स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने शारदा हॉस्पिटल, नोएडा डॉ. विकास यादव (Senior Consultant - IVF & Gynaecology) से बात की। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

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महिला के प्रेग्नेंट होने के लिए पुरुष का स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए- How Much Sperm Is Enough To Make A Woman Pregnant In Hindi

डॉ. विकास यादव के अनुसार, "प्रेग्सी के लिए पुरुषों का स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए? इसे पता लगाने के लिए डॉक्टर स्पर्म की जांच या सीमन एनालिसिस (Semen Analysis) करते हैं। यह जांच 2 से 3 दिन के परहेज के बाद, जिसे स्टीवेंस कहते हैं के बाद की जाती है। जांच में यह देखा जाता है कि स्पर्म का टोटल काउंट यानी कुल संख्या कितनी है। पूरे सैंपल में कम से 39 मिलियन होनी चाहिए, जो कि एक ml में 15 मिलियन से अधिक होनी चाहिए। इसमें हम स्पर्म की मोटिलिटी (Motility) देखते हैं, जो कि शुक्राणु के तीव्र गति चलने की शक्ति होती है। यह कुल 40 प्रतिशत होनी चाहिए, जिसमें 32 प्रतिशत परसेंट प्रोग्रेसिव मोटिवेटेड होता है। गर्भधारण के लिए तीव्र गति के शुक्राणु होने चाहिए। ठीक शुक्राणु मिनिमम 4 प्रतिशत होने चाहिए। यह क्राइटीरिया है जिसे हम देखते हैं कि शुक्राणु ठीक है या नहीं। अगर इनमें कोई भी दिक्कत होती है या तो कीटाणु कम हों या शुक्राणु की मोटिलिटी कम हो या ठीक शुक्राणु की संख्या कम हो, तो कुछ दवाएं शुरू की जाती हैं, जिससे कुछ हद तक शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।"

डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?

डॉ. विकास सलाह देते हैं कि पुरुषों को डॉक्टर के दिए उपचार के साथ  दिनचर्या और अपनी जीवनशैली में भी कुछ सुधार करने की जरूरत होती है जैसे,

  • स्मोकिंग न करें
  • शराब के सेवन से परहेज करें
  • योग और एक्सरसाइज करें
  • विटामिन सी भरपूर फल का सेवन करें

    इन सरल टिप्स को फॉलो करने से स्पर्म काउंट में बढ़ोतरी देखी गई है। स्पर्म काउंट में अगर अंतर होता है तो इससे डीएनए इंटेशन में दिक्कत होती है और बच्चे बार-बार खराब हो सकते हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी में स्पर्म काउंट या सीमेन एनालिसिस का एक महत्वपूर्ण योगदान है। इसमें अलग-अलग पैरामीटर हैं, जिसके बारे में हमें पता होना चाहिए कि दिक्कत कहां है।