नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने देश भर में जाति जनगणना की वकालत की है। लेकिन उन्हें इस बात की चिंता है कि इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने से समाज में 'विभाजन' पैदा होगा। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ एनडीए के भीतर 'एक राष्ट्र , एक चुनाव' और 'समान नागरिक संहिता' पर अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है। हालांकि, ये दोनों मुद्दे भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा हैं।

एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कही ये बात

समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) से खास बातचीत में उन्होंने यूसीसी के बारे में गहरी चिंता जताई। उन्होंने शनिवार को कहा कि जब तक इस पर मसौदा उनके सामने नहीं रखा जाता, तब तक वह कोई रुख नहीं अपना सकते। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 'एक राष्ट्र , एक चुनाव' का पुरजोर समर्थन करती है।

यूसीसी के मुद्दे पर चिराग ने क्या कहा?

जब पासवान से पूछा गया कि क्या वह समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का समर्थन करते हैं? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हमारे पास अभी तक इसका मसौदा नहीं है। जब तक हम उस मसौदे को नहीं देख लेते, क्योंकि बहुत सारी चिंताएं हैं...भारत विविधताओं वाला देश है।"

उन्होंने कहा, "चाहे भाषा हो, संस्कृति हो या जीवनशैली, देश के अलग-अलग क्षेत्रों में सब कुछ अलग है।" उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि 'आप सभी को एक छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं।'

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हालांकि, यूसीसी पर बहस में अक्सर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन यह हिंदुओं के बारे में भी है, क्योंकि उनकी प्रथाएं और परंपराएं, जिनमें विवाह से संबंधित चीजें भी शामिल हैं, देश भर में अलग-अलग हैं।"

चिराग ने इस पर जवाब देने से किया इनकार

पासवान ने कहा, "मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को इससे बाहर रखा जा रहा है। तो आप उन्हें इस छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं? इसलिए जब तक कोई मसौदा नहीं आता, मुझे नहीं लगता कि मैं इस सवाल का जवाब दे पाऊंगा।"