Snake Crisis in Bangladesh: बांग्लादेश में इस समय सांपों का खौफ बढ़ता जा रहा है। अत्यधिक विषैला सांप रसेल वाइपर को कई बार देखा जा चुका है। इस प्रजाति की बढ़ती संख्या ने बांग्लादेश में चिंता और भय पैदा कर दिया है।
संरक्षणवादियों का दावा है कि 2012 से वन्यजीव (संरक्षण और सुरक्षा) अधिनियम के तहत इस वाइपर को संरक्षण दिए जाने के बावजूद, इस प्रजाति की जनसंख्या में वृद्धि के कारण सांपों की अंधाधुंध हत्याएं बढ़ गई हैं। इस प्रजाति के विशेषज्ञ प्रोफेसर फरीद अहसन ने बताया कि यह विषैला सांप, जो कभी केवल 17 जिलों तक सीमित था, अब इस साल बांग्लादेश के 64 जिलों में से 27 में देखा गया है।
रसेल वाइपर का खौफ
डॉ. अहसान की रिपोर्ट के अनुसार, रसेल वाइपर ज़्यादातर जमीन पर पाया जाता है, लेकिन यह जल निकायों में भी पाया जाता है क्योंकि यह सांप एक अच्छे तैराक भी है। यह गर्म मौसम के दौरान गोधूलि बेला (सूर्यास्त या दिन अस्त के जो बीच का समय) में चले जाते है, लेकिन ठंडे मौसम में दिन के समय ये बहुत एक्टिव हो जाते है।
अब तक 17 लोग हुए शिकार
रिपोर्ट के अनुसार, सांपों के काटने के सबसे ज्यादा शिकार किसान होते हैं क्योंकि वे खेतों में काम करते हैं। मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या 17 पुरुष की है। इसमें से 14 मौतें 2016 में, एक ही 2015 में, दो की 2014 में और तीन की 2013 में हुई। इस खतरे से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने 100 से ज़्यादा साँपों (रसेल वाइपर) को मारा गिराया है।
स्थानीय लोगों के भीतक इस प्रजाति के काटने का डर बना हुआ हैं। 18वीं सदी के स्कॉटिश सरीसृप विज्ञानी पैट्रिक रसेल के नाम पर बनी यह सांप प्रजाति भारत में भी मौजूद है, जहां से बांग्लादेश वर्तमान में सांप के काटने के लिए मारक दवा आयात कर रहा है।