हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा ने लगभग आधी सीटें गवां दीं. उसे 25 में से 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. जबकि 2019 में भाजपा ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. राजनीति के जानकार भाजपा की इस हार के कारणों में से एक कारण उस नैरेटिव को मानते हैं, जिसमें कहा गया था कि अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो वो संविधान बदल कर आरक्षण खत्म कर देंगे. अब एक बार फिर राजस्थान में भाजपा सरकार के सामने ऐसी ही स्थिति आ गई. गुरुवार को राजस्थान पुलिस के आदेश में OBC को दी जा रही उम्र की छूट को खत्म कर दिया गया है. जो कि आने वाले उपचुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. राजस्थान में इस साल के अंत में पांच विधानसभा सीटों दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, झुंझुनू और चौरासी में उपचुनाव हैं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा इन सीटों पर उपचुनाव जीतना चाहेगी. लेकिन राजस्थान पुलिस सेवाओं में OBC वर्ग की उम्र छूट खत्म करने का मुद्दा इन चुनावों में भाजपा के गले पड़ सकता है. खींवसर और झुंझुनू विधानसभा सीटों पर OBC वर्ग के मतदाता बड़ी संख्या में हैं. ऐसे जब विपक्ष इस मुद्दे को हवा दे रहा है तो भाजपा को इन दोनों सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. मालूम हो कि लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा दिया गया 400 पार का नारा उल्टा पड़ गया था. कांग्रेस ने इस नारे को काउंटर करने के लिए कहा कि, भाजपा संविधान बदलना चाहती है इसलिए उन्हें इतनी सीटें चाहिए. लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वी राजस्थान में संविधान खत्म करने के मुद्दे ने जमीन पकड़ ली थी. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया था. जिसके बाद भाजपा पूर्वी राजस्थान की दौसा, टोंक-सवाई माधोपुर, भरतपुर, करौली-धौलपुर संसदीय सीटों पर बुरी तरह हार गई थी. इसके अलावा राजस्थान की 7 आरक्षित सीटों में से 5 पर भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी.
लोकसभा में 'आरक्षण खत्म' के नैरेटिव से हारे! अब उपचुनाव में भाजपा के गले पड़ सकता है OBC आरक्षण का मुद्दा
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