उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार क्यों हुई, 15 पन्नों की समीक्षा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों के 50 हजार लोगों से बात कर तैयार यह रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भाजपा नेतृत्व को सौंपी है। कहा गया है कि पेपर लीक और नई भर्तियां न होने से युवाओं में असंतोष, नौकरशाही के हावी होने से सांसदों-विधायकों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। भाजपा सांसदों के संविधान बदल देने के विवादित बयानों को विपक्ष की ओर से बड़ा मुद्दा बनाने से पिछले चुनावों में वोट करने वाले गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित मतदाता पार्टी से इस बार छिटक गए, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। भाजपा नेतृत्व को प्रदेश अध्यक्ष की ओर से सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के सभी 6 क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र में 2019 की तुलना में पार्टी के मतदान प्रतिशत में 8त्न की कमी आने से सीटों का नुकसान हुआ। मिसाल के तौर पर पश्चिम और काशी क्षेत्र की 28 में से सिर्फ 8 सीटें पार्टी जीत सकी। वहीं ब्रज क्षेत्र में पार्टी को 13 में से 8 तो गोरखपुर में 13 में से केवल 6 सीटों से संतोष करना पड़ा। अवध की 16 में से 7 सीटें और कानपुर-बुंदेलखंड में 10 में से केवल 4 सीटों पर ही कमल खिला. बीएलओ स्तर के कर्मियों की ओर से भाजपा के कोर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से साजिश के तहत काटे गए। लगभग सभी सीटों पर 30 हजार से 40 हजार पार्टी के कोर वोटर के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए।