नई दिल्ली। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम में छेड़छाड़ की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर आवेदन करने वाले असंतुष्ट उम्मीदवारों को चुनाव आयोग ने कई विकल्प दिए हैं। उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदान केंद्र से ईवीएम को चुन सकते हैं। विकल्प में मॉक पोल और मॉक वीवीपैट पर्ची की गणना भी शामिल है। बता दें कि चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की बर्न्ट मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच/सत्यापन के लिए लोकसभा के आठ और विधानसभा के तीन उम्मीदवारों ने आवेदन किया था।चुनाव आयोग द्वारा मंगलवार को जारी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों को कई रैंडम टेस्ट चुनने का विकल्प दिया गया है। चुनाव आयोग ने कहा कि नियंत्रित वातावरण से आगे जाकर बर्न्ट मेमोरी की जांच और सत्यापन प्रक्रिया फर्मवेयर में किसी भी पूर्वाग्रह या छिपी हुई कार्यक्षमता की संभावना या आशंका को समाप्त करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी दी सत्यापन की अनुमति

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में हेराफेरी के संदेह को सुप्रीम कोर्ट निराधार बता चुका है। सर्वोच्च अदाल ने 26 अप्रैल को पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली को वापस लाने की मांग को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने उसी समय चुनाव परिणामों में दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को चुनाव पैनल को शुल्क का भुगतान करके लिखित अनुरोध पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम में लगे माइक्रो-कंट्रोलर चिप्स के सत्यापन की अनुमति दी थी।

चुनाव आयोग ने कहा कि पात्र उम्मीदवार विधानसभा क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केन्द्रों या मशीनों की क्रम संख्या का विकल्प दे सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आवेदक की पसंद के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र से ईवीएम को उठाया जाएगा और किसी विशेष मशीन को चुनने या छोड़ने में किसी तीसरे पक्ष या अधिकारियों की भागीदारी नहीं होगी।

किसी भी केंद्र की यूनिट चुन सकता है आवेदक

विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदान केंद्र से ईवीएम इकाइयों को मिलाने का विकल्प भी दिया गया है। अगर कोई आवेदक उम्मीदवार किसी विशेष मतदान केंद्र की कोई विशिष्ट इकाई- बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट या वीवीपीएटी को चुनता है तो वह उस मतदान केंद्र पर इस्तेमाल की गई उसी सेट की अन्य इकाइयों को चुनने को बाध्य नहीं है।