राजस्थान भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक शनिवार को जयपुर के जेईसी में संपन्न हो गई। लेकिन, अंदर की खबर यह है कि भाजपा संगठन में जल्द ही फेर बदल होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक कार्यसमिति की बैठक बतौर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का यह आखिरी बड़ा कार्यक्रम था। अब विधानसभा उपचुनाव नए अध्यक्ष की अगुवाई में होंगे। इसके लिए किरोड़ी लाल मीना का सामने आ रहा है। राजस्थान भाजपा में अगले कुछ दिनों में बड़े बदलाव होंगे। शनिवार को राजधानी जयपुर में भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई। लेकिन, इस कार्यसमिति की बैठक के बाद अब संगठन पर सबकी नजरें हैं। बतौर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का यह आखिरी बड़ा कार्यक्रम माना जा रहा है। जल्द ही पार्टी की तरफ से राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर नया नाम तय किया जाना है। नए अध्यक्ष के दावेदारों में राजेंद्र गहलोत, अविनाश गहलोत, प्रभुलाल सैनी का नाम लिया जा रहा है। लेकिन, इन सब नामों के बीच अब अचानक एक चौंकाने वाला नाम आया है. वह है डॉ. किरोड़ी लाल मीना का, जिन्होंने फिलहाल मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे रखा है। हालांकि, उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। लेकिन, किरोड़ी ने बतौर मंत्री के रूप में अपने काम से दूरी बना रखी है। न तो वे सचिवालय आ रहे हैं और न ही विधानसभा की कार्रवाई में हिस्सा ले रहे हैं। हालांकि, किरोड़ी लाल मीना बयान दे चुके हैं कि उन्होंने इस्तीफा अपने वचन को पूरा करने के लिए दिया है। सरकार और संगठन में उनकी किसी से नाराजगी नहीं है। जानकार सूत्रों की मानें तो किरोड़ी लाल मीना ने पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ढा से दिल्ली में मुलाकात की थी, उस बातचीत में नड्ढा ने उन्हें संगठन को मजबूती देने की बात कही थी। संगठन की कमान किरोड़ी के हाथ में देने के कई वाजिब कारण भाजपा के पास हो सकते हैं। इसमें सबसे पहले यह कि भाजपा किरोड़ी को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस की तरफ से उठाए जा रहे आदिवासी मुद्दे की काट करेगी। किरोड़ी एसटी समुदाय से आते हैं। भाजपा के कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर के आदिवासी समुदाय को लेकर दिए गए बयान के बाद कांग्रेस लगातार यह माहौल बना रही है कि भाजपा आदिवासियों के खिलाफ है। यही नहीं लोकसभा चुनावों में एससी-एसटी आरक्षण का जो मुद्दा कांग्रेस ने चलाया उससे भाजपा को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा था। किरोड़ी के मंत्री पद से इस्तीफे को भी कांग्रेस इस मुद्दे से जोड़कर प्रचारित कर रही है। राजस्थान में इसी साल 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जिनमें झुंझुनू, खींवसर, देवली उनियारा, दौसा और चौरासी विधानसभा सीट शामिल हैं। इनमें देवली उनियारा, दौसा और चौरासी सीटों पर आदिवासी का मुद्दा सबसे ज्यादा असर डालता है। किरोड़ी के जरिए भाजपा यहां डैमेज कंट्रोल कर सकती है। भाजपा में संगठन और सरकार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह पांचों सीटें खतरे में ही बताई जा रही है। इसलिए भाजपा चुनाव से पहले संगठन में बदलाव करना चाहती है।
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