राजस्थान में पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी जहां इस बार बड़ी रणनीति बनाने जा रही है, तो वहीं कांग्रेस अपने पुराने फार्मूले के तहत चुनाव में उतरेगी. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि इस बार केंद्र सरकार की योजनाओं और पीएम नरेंद्र मोदी की बातें वहां ज्यादा नहीं होगी. राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने कितना काम किया है और किन मुद्दों पर वहां काम चल रहा है. इन बातों को घर-घर बताना है. बजट में जो चीजें दी जा रही है, जिन क्षेत्रों के लिए जो घोषणाएं हुई हैं. इन सभी बातों को वहां के स्थानीय लोगों को बताया जाएगा. स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को मजबूती से इस काम पर लगाया जाएगा. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है. वहीं कांग्रेस भी जातिगत मुद्दों और संविधान को लेकर मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर रही है. झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीटों के लिए बीजेपी के विधानसभा प्रभारी अब मैदान में उतर रहे हैं. जिसमें वह वहां के कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे. इसके बाद टिकट देने पर फैसला लिया जाएगा. इस बार नए समीकरण और मुद्दों को लेकर पार्टी टिकट पर मुहर लगाने की तैयारी में है. इसके साथ ही इन विधानसभा क्षेत्रों के लिए बजट में जो वादे किये गए हैं उसकी चर्चा होगी. खासकर किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए जो राहत बजट में दी गई है, उसपर पार्टी का पूरा फोकस है. इस बार पीने के पानी और सिंचाई की व्यवस्था पर चर्चा होगी. राजस्थान की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं. यह सभी सीटें इंडिया गठबंधन की है. इसलिए कांग्रेस अभी किसी फाइनल नतीजे पर नहीं है, क्योंकि यहां पर टिकट बंटवारे के लिए इतंजार है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पार्टी सभी पांचों सीटों पर तैयारी कर रही है. बस इंतजार है गठबंधन की तरफ से कि क्या फैसला होने वाला है, क्योंकि सांसद हनुमान बेनीवाल के सुर कई बार बदल चुके हैं. इसलिए अभी कांग्रेस पार्टी कोई भी फैसला सार्वजनिक नहीं कर पा रही है. मगर जातिगत समीकरण और संविधान को मुद्दा बनाना चाह रही है.