अनुपम बेला मे रामगंजमंडी मे शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मे पट्ट गणिनी आर्यिका 105 विजयमति माताजी का 73 वा अवतरण दिवस मनाया अवतरण दिवस के क्रम मे गणिनी आर्यिका105 विजयमती माताजी का चित्र अनावरण किया गया एवम दीप प्रज्वलित किया गया जो झालरापाटन से आए भक्त गण एवम समाजअध्यक्ष दिलीप विनायका उपाध्यक्ष कमल लुहाडिया चेतन बागडिया आदि प्रबुद्ध जन द्वारा किया गया। इस अवसर पर शांतिनाथ महिलामंडल द्वारा गुरु माँ के समक्ष्य अलोकिक मंगलाचरण प्रस्तुति की गई इस अवसर पर श्री त्रिलोकसांवला ने अपने भाव व्यक्त किए साथ ही शांतिनाथ महिलामंडल अध्यक्ष श्रीमती शोभना सावला ने गुरु माँ के जीवन क्रतित्व पर प्रकाश डाला इस अवसर पर श्रीमती अनिता जैन ने अपने भजनों के द्वारा वातावरण को भक्तिमय बना दिया गुरु माँ के पद प्रक्षालन का सोभाग्य त्रिलोकमयंक सावला शास्त्र भेट करने का सोभाग्य भूपेंद्र सांवला मनोज पहाड़िया महेश कटारिया परिवार को मिला एवम वस्त्र भेट करने का सोभाग्य कमलकुमार रजत लुहाडिया परिवार को प्राप्त हुआ
      इसी क्रम मे भक्ति भाव के साथ गुरु माँ का विशेष थाल सजाकर पूजन किया गया जिसका कुशल संयोजन साधना पहाडीया एवम अनिता जैन ने किया धर्मसभा का सञ्चालन राजकुमार गंगवाल ने किया इस अवसर पर संघस्थ क्षुल्लिका 105 सुमित्रमति माताजी ने गुरु माँ के प्रति कहा की जिसको आत्मा की पहचान होगी वह आत्म लाभ को प्राप्त करेगा यह सब गुरु क्रपा से हो सकता है गुरु की क्रपा जिस पर होय उसका बाल न बाका होय क्षुल्लिका 105 विनीतप्रभामति माताजी ने कहा पुण्य का उदय होता है तब हम गुरु का जन्म दिवस एवम दीक्षा दिवस मनाते है जन्म उसी का सार्थक होता है जो पतित जीवन को पावन बनाते है ये पावन गंगा बहती हुई रामगंजमंडी मे आई है आप इसका पुण्य लाभ प्राप्त करे हमारा जीवन सार्थक गुरु देशना से हीहोगा इस अवसर पर संघस्थ आर्यिका 105 विजयप्रभा माताजी ने कहा की गुरु की महिमा का वर्णन शब्दों मे नहीं किया जा सकता माताजी ने हमे दीक्षा दी हमे संभाला शिक्षा दीक्षा दी एक काव्य रचना के माध्यमसे अपने भाव व्यक्त किए
 अवतरण दिवस पर बोलते हुए विमलप्रभा माताजी ने विजयमति माताजी के प्रति भाव प्रकट करते हुए कहा की मेरा उपयोग जैन दर्शन मे लगाया यह माताजी का चुबकीय आकर्षण था जो मेने गवर्मेंट जॉब छोड़ दी और इस मार्ग पर चल पड़ी भले ही आदिसागर महाराज के दर्शन नहीं किए लेकिन माताजी मे विमलसागर महाराज सनमति सागर महाराज का समन्वय था मुझे तपस्या की और माताजी ने ही अग्रेषित किया और जैन धर्म की महिमा को सिखाया गुरुओ का बोया हुआ बीज असंख्य दाने का बीजारोपण कर देता है गुरु पोस्टमेन की तरह होता है लिखता नहीं बाटता है आज के दिन गुरुमाँ के चरणों मे यही विनती अर्पित करुँगी की उत्कृष्ठ तप करने की शक्ति प्राप्त हो ऐसा मुझे आशीर्वाद दे