नई दिल्ली। नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान की खरीद के लिए भारत सरकार फ्रांस के साथ कड़ा मोलभाव कर रही है। 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के सौदे के लिए इन दिनों कंपनी और फ्रांस सरकार के अधिकारियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता चल रही है।
भारत कम कीमत में करना चाहता है हासिल
यह वार्ता 10-12 दिन चलने की उम्मीद है। इसमें विमानों की कीमत को लेकर काफी हद तक अंतिम निर्णय हो जाएगा। फ्रांस की ओर से इस सौदे के लिए 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा मांगे जा रहे हैं जबकि भारत इसे 50 हजार करोड़ से कम में ही करना चाहता है। इस सौदे में विमानों को हथियारों के साथ लिया जाना है। प्रत्येक विमान में कई तरह की मिसाइलें लगाई जाएंगी। इनमें भारत की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र भी होगी।
इस बातचीत से पहले नौसेना के विमानवाहक पोत पर राफेल मरीन विमानों के उतरने और उड़ान भरने की क्षमता को परखा गया है। इन प्रक्रियाओं को बेहतर करने के लिए विमानों में अलग से भी कुछ उपकरण लगाए जाएंगे। ताजा सौदे में निर्माण सामग्री की बढ़ी हुई महंगाई भी असर डालेगी।
इसके अतिरिक्त दो इंजनों वाला यह लड़ाकू विमान पूर्व में वायुसेना के लिए खरीदे गए विमान से ज्यादा क्षमता वाला है लेकिन नए विमानों के लिए बेस प्राइस पूर्व में लिए गए विमानों वाला ही रखा गया है। नए विमान भारत के दोनों विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात होंगे।