देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता मारुति लगातार शून्य उत्सर्जन को हासिल करने की कोशिश कर रही है। इसी क्रम में कंपनी ने रेलवे के साथ मिलकर नया रिकॉर्ड बनाया है। यह रिकॉर्ड क्या है और किस तरह बनाया गया है। इसके साथ ही कंपनी अगले सात से आठ सालों में किस तरह की रणनीति पर काम कर रही है। आइए जानते हैं।
देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता मारुति सुजुकी ने रेलवे के साथ मिलकर नया रिकॉर्ड बनाया है। कंपनी की योजना रेलवे के साथ भविष्य में मिलकर और नए कीर्तिमान स्थापित करने की है। कंपनी की ओर से किस तरह के रिकॉर्ड को हाल में बनाया गया है। इसके साथ ही भविष्य में प्रदूषण कम करने के लिए कंपनी की ओर से किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
मारुति ने बनाया रिकॉर्ड
मारुति सुजुकी ने रेलवे का उपयोग करके बीस लाख वाहनों के डिस्पैच के लक्ष्य को हासिल कर नया रिकॉर्ड बनाया है। खास बात यह है कि इस तरह की उपलब्धि को हासिल करने वाली मारुति सुजुकी भारत की पहली ऐसी ऑटोमोबाइल कंपनी है।
कैसा रहा प्रदर्शन
मारुति सुजुकी ने रेलवे के जरिए अपने वाहनों के डिस्पैच को वित्तवर्ष 2014-15 में 65,700 इकाइयों से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2023-24 में 447,750 इकाइयों तक पहुंचाया है। सड़क के जरिए भेजने की तुलना में रेलवे द्वारा इन वाहनों के लिए एक भीड़ मुक्त, सुरक्षित और ऊर्जा की बचत करने वाला विकल्प प्रदान किया गया है। आज, कंपनी भारतीय रेलवे का उपयोग करते हुए 20 जगहों तक वाहन भेजती है और 450 से ज्यादा शहरों में अपनी सेवाएं प्रदान करती है।
कंपनी के अधिकारियों ने कही यह बात
इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ हिसाशी ताकेउचि ने कहा कि मारुति सुजुकी ने ऑटोमोबाइल-फ्रेट-ट्रेन-ऑपरेटर लाइसेंस प्राप्त करने वाली भारत की पहली कंपनी बनकर एक दशक से भी अधिक समय पहले वाहनों के डिस्पैच के लिए रेलवे का उपयोग करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। तब से, कंपनी ने रेलवे का उपयोग करके वाहनों के डिस्पैच को व्यवस्थित रूप से बढ़ाया है। ग्रीन लॉजिस्टिक्स के जरिए हमने CO2 उत्सर्जन में 10,000 मीट्रिक टन की संचयी कमी और 270 मिलियन लीटर संचयी ईंधन बचत की है। हमारी उत्पादन क्षमता वित्त वर्ष 2030-31 तक लगभग दोगुनी होकर चार मिलियन यूनिट करने की है। हम अगले सात से आठ सालों में वाहनों के डिस्पैच में रेलवे के उपयोग को लगभग 35 फीसदी तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। हम 2070 तक भारत सरकार के शुद्ध शून्य (नेट जीरो) उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं