आज से गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं. इस बार गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होंगे. वैसे वासन्तिक नवरात्र के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि तक गुप्त नवरात्र रहता है. मगर इस बार गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होंगे. पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्र में 10 देवियों या 10 महाविद्या की पूजा का विधान है. इस बार नवरात्र के पहले दिन ही प्रतिपदा तिथि पर पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है. गुप्त नवरात्र में मां भगवती की प्रसन्नता हासिल करने के लिए भक्त पूजा-आराधना करते हैं. शुभ संकल्प के साथ गुप्त नवरात्र के शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना कर, व्रत रख कर मां भगवती का पाठ और मन्त्रों का जाप करना विशेष लाभकारी माना गया है. मां भगवती के दस रूपों की पूजा गुप्त नवरात्र में की जाती है. मां भगवती के दस रूपों दर्शन-पूजन क्रम में पहले दिन मां काली, दूसरे में मां तारा देवी, तीसरे में मां त्रिपुर सुन्दरी, चौथे में मां भुवनेश्वरी, पांचवें में मां छिन्नमस्ता, छठे में मां त्रिपुर भैरवी, सातवें में मां धूमावती, आठवें में मां बगलामुखी, नौवें में मां मातंगी और दसवें दिन मां कमला देवी की पूजा होती है. मां के इन दस स्वरूपों को पूजा-अर्चना करने का ख़ास महत्व है. मां भगवती की पूजा के लिए सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है. प्रख्यात ज्योतिर्विद विमल जैन बताते हैं कि इस बार गुप्त नवरात्र 6 जुलाई शनिवार से 15 जुलाई सोमवार तक रहेंगे. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 5 जुलाई शुक्रवार को आधी रात के बाद 4 बज कर 28 मिनट पर लग कर, 6 जुलाई शनिवार को आधी रात के बाद 4 बज कर 27 मिनट तक रहेगी. नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान के साथ घट स्थापना किया जाता है. घट स्थापन का शुभ मुहूर्त सुबह 05:11 मिनट से लेकर 7:26 मिनट तक है. अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाए हैं तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक हैं, उसमें यह कार्य कर लें. इन दो मुहूर्त में कलश स्थापन करना शुभ रहने वाला है. दिन के हिसाब से माता दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आने वाली हैं. माना जाता है कि जब घोड़े पर सवार होकर माता दुर्गा आएंगी तो प्राकृतिक आपदा की आशंका होती है.
गुप्त नवरात्रि की आज से शुरुआत, 15 जुलाई तक चलेंगे वृत, इस बार 10 स्वरूपों में होगी मां दुर्गा की पूजा
