कोटा-रावतभाटा की लाइफ लाइन इमरजेंसी रोड पर बुधवार शाम 4 बजे कोलीपुरा घाटे पर ट्रोला फंस गया। स्थिति यह रही कि ट्रोला कोलीपुरा की सुरक्षा दीवार को तोड़ते हुए सड़क तक खड़ा हो गया। इसके पहिए सुरक्षा दीवार पर थे और यह घाटी पर नीचे लटका हुआ रहा। राहत की बात है यह रही कि ट्रोला घाटी पर नहीं गिरा, लेकिन हनुमान मंदिर के पास सड़क पर तिरछा हो गया, जिससे जाम लग गया। परमाणु बिजलीघर की चलने वाली मिनी बस और रोडवेज बसें जाम में फंसी रही।

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निजी वाहन चालक और प्रतिदिन अपडाउन करने वाले कर्मचारी और आमजन फंसे रहे। कई लोगों की ट्रेन छूट गई। जो सक्षम थे, वे दूसरी तरफ से अपने वाहन बुलाकर चले गए। लेकिन, आमजन वहीं फंसा रहा। परमाणु बिजलीघर की मिनी बस की भी ऐसी व्यवस्था की गई कि उधर की बस उधर ही खड़ी रही और इधर की बस इधर, फिर सवारी और ड्राइवर बदले गए। पैदल ही सफर तय करना पड़ा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भगवत सिंह हिंगड़ ने बताया कि उन्हें सूचना मिलने के बाद उन्होंने कोटा के सिटी एडिशनल एसपी से बात कर क्रेन और अन्य साधन भिजवाए। रावतभाटा पुलिस थाने से अधिकारी और स्टाफ को भेजा।

अब तक सिर्फ बातें : हाइवे बनना तो दूर चौड़ाई भी नहीं बढ़ी

ट्रॉले के नीचे ऐसे झुक कर निकल पाए लोग

रावतभाटा. कोलीपुरा घाटे पर बेकाबू होकर ट्रोला तिरछा हो गया, जिससे जाम लगा रहा।

राजस्थान परमाणु बिजलीघर, भारी पानी संयंत्र न्यूक्लियर फ्यूल कॉम्प्लैक्स, राणा प्रताप सागर बांध जैसे संवेदनशील और जोखिम भरे संयंत्र रावतभाटा में होने के कारण इस मार्ग पर दिन-रात आवाजाही बनी रहती है। इसके बावजूद सड़क सालों से जैसी की तैसी है। डेली अपडाउनर का यही कहना है कि आखिर यह सड़क कब चौड़ी होगी। कभी कहा जाता है कि यह नेशनल हाईवे बनेगा। कभी कहा जाता है कि स्टेट हाईवे बनेगा। लेकिन, कोटा-रावतभाटा मार्ग की हालत गांव जैसी बनी हुई है। देखने वाला कोई नहीं है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ने भी इस सड़क को महत्वपूर्ण मानते हुए सुरक्षा के लिए चौड़ा करना जरूरी बताया, लेकिन वन क्षेत्र होने के कारण यह अड़ंगा नेटवर्क चलता नहीं, जंगल का रास्ता अलग

कोलीपुरा के संकरे मार्ग पर नेटवर्क चलता नहीं है, जंगल का रास्ता है। इसके चलते टाइगर-पैंथर और वन्यजीवों का खतरा बना रहता है। ऐसे में जाम लगते ही कोटा-रावतभाटा के बीच सफर करने वाले सहम जाते हैं। इस मानसून के सीजन में यदि अचानक बारिश हो जाए तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है, क्योंकि कहीं पर भी पानी से बचाव की व्यवस्था नहीं है।

कोलीपुरा घाटे पर ट्रोला शाम 4 बजे से देररात घंटों तक फंसा रहा। आखिरकार लोग जैसे-तैसे नीचे झुक कर निकल कर आए। कई बाइक और स्कूटी सवार भी ऐसे ही ट्रोले के नीचे से झुककर गाड़ी लेकर निकले, लेकिन बड़े वाहन वहीं फंसे रहे। रात तक भी रास्ता नहीं खुला था।बना हुआ है