अपने तीसरे कार्यकाल की पहले 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने संविधान में अपने अटूट विश्वास को दोहराया तो आम चुनाव, आदिवासी कल्याण, पर्यावरण आदि पर बात की। यह कार्यक्रम हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित किया जाता है। इससे पहले 'मन की बात' आखिरी बार 25 फरवरी को प्रसारित किया गया था, जिसके बाद लोकसभा चुनावों की वजह से इसे रोकना पड़ा था. प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि 'मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें 65 करोड़ लोगों ने वोट डाला। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।' प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में आदिवासी भाई-बहनों को हूल दिवस की शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन वीरों सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस को याद करने का दिन है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का विरोध किया। झारखंड के संथाल परगना में हजारों संथाली साथियों को इकट्ठा करके सिद्धो कान्हू ने अंग्रेजों का मुकाबला किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से दो साल पहले यानी कि 1855 में ही सिद्धो कान्हू ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा 'हम सबके जीवन में मां का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या ? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- 'एक पेड़ माँ के नाम'। मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है।