जबसे मालदीव में मुइज्जू की सरकार आई है. तबसे भारत और मालदीव के रिश्ते में खटास आ गई है. पाकिस्तान की तरह ही मालदीव अब चीन की गुलामी पर उतर आया है. मगर भारत का सबसे अच्छा पड़ोसी चीन का गुलाम बन जाए और अपना दुश्मन बन जाए, यह बात प्रधानमंत्री मोदी को तनिक भी रास नहीं आई. यही वजह है कि मोदी 3.0 में मालदीव और भारत के बेपटरी हुए रिश्ते को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो गई है. इसकी पहली बानगी तब दिखी जब पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को खास मेहमान के तौर पर बुलाया. और अब तो पीएम मोदी ने बकरीद पर मुइज्जू को बधाई संदेश भी भेज दिया.

दरअसल पिछले साल मालदीव ने मुइज्जू की सरकार बनी. मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है. सरकार में आते ही मुइज्जू ने भारत विरोधी कई कदम उठाए. जिसकी वजह से रिश्ते खराब हो गए. मालदीव से भारतीय सेना की वापसी और पीएम मोदी के लक्ष्यदीप दौरे पर टिप्पणी ये कुछ उदाहरण हैं. मालदीव इससे पहले भारत का अच्छा पड़ोसी रहा है. मुइज्जू के बहाने चीन मालदीव को भारत से दूर करना चाहता है. यही वजह है कि वह लगातार मुइज्जू पर डोरे डाल रहा है. अब मुइज्जू भी चीन की प्रभाव में आकर भारत संग रिश्तों को ताख पर रख रहे हैं. मगर मुइज्जू ये नहीं समझ रहे हैं कि आखिर चीन उनपर डोरे क्यों डाल रहा है.

चीन की रणनीति हमेशा से भारत को घेरने की रही है. हिंद महासागर में दबदबा बनाने के लिए चीन तमाम तरह के तिकड़म कर रहा है. पहले उसने श्रीलंका को कर्ज दे-देकर डुबोया. फिर उसका इस्तेमाल कर अपना जासूसी जहाज श्रीलंका के तट पर खड़ा किया. चीन की यह चाल भी भारत को घेरने की ही थी. अब श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दयनीय है. अब भारत को घेरने के लिए चीन मालदीव का इस्तेमाल कर रहा है.