पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी आलाकमान ने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना था. शर्मा के मंत्रीमंडल सहयोगी किरोड़ी लाल मीणा ने उनके अधीन सीट पर पार्टी की हार के कारण इस्तीफा देने का संकेत दिया है, जिस कारण मुख्यमंत्री शर्मा को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. इस कदम से अन्य मंत्रियों पर दबाव पड़ने की संभावना है, जिनके क्षेत्रों में भी लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन हुआ है. वहीं कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का प्रभाव बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि, पार्टी एक दशक के बाद राज्य में कुछ सीटें जीतने में सक्षम हुई है. मंगलवार को घोषित लोकसभा चुनाव नतीजों में भाजपा ने 25 में से 14 सीट पर जीत दर्ज की जबकि, कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने 11 सीटें जीतीं.  इस बार, भाजपा को 2019 के मुकाबले 10 सीट पर हार का सामना करना पडा. जबकि, भाजपा के पूर्व सहयोगी आरएलपी ने नागौर सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और विजयी हुई. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में भाजपा के मत प्रतिशत में 9.23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जबकि कांग्रेस ने अपने वोट शेयर में 3.67 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की. भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ-साथ राज्य में भाजपा का चुनाव अभियान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने चलाया गया. चूंकि जोशी स्वयं चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए मुख्यमंत्री ने पूरे राज्य में चुनावी रैलियां और बैठकें की. भाजपा को बड़ा झटका पूर्वी राजस्थान से लगा, जहां, पार्टी को भरतपुर, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर और दौसा सीटें गंवानी पड़ीं. भरतपुर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृहनगर है. इन सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.