गुजरात के राजकोट में हुए हादसे ने जयपुर में संचालित गेम जोन को भी सवालों के घेरे में ला दिया है। हादसे के बाद रविवार को ग्रेटर निगम के अधिकारियों की नींद टूटी। शहर के गेम जोन की जांच करने निकले तो खामियां ही खामियां नजर आईं। सुरक्षा मानकों को धता बता गेम जोन में बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ होता मिला। किसी जोन में सेफ्टी के लिए लगा हॉज पाइप कोने में था तो कहीं जब मोटर से पानी फेंका गया तो उसमें धार नजर नहीं आई। हैरान करने वाली बात है कि जयपुर में भी राजकोट जैसी चूक सामने आई। गेम जोन में ज्वलनशील सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। ज्यादातर जोन में फायर फाइटिंग सिस्टम ही काम नहीं कर रहे। एक अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 25 से अधिक छोटे-बड़े गेम जोन संचालित हैं। शहर में एक भी गेम जोन ऐसा नहीं है, जो सुरक्षा के सभी मानकों पर खरा उतरता हो। अधिकतर गेम जोन ऐसे हैं, जहां 20 फीसदी मानक भी पूरे नहीं किए जा रहे हैं। हादसे होने के बाद ही नगर निगम की ओर से शहर में मानकों की जांच की जाती है। जबकि, ये सतत प्रक्रिया है। यह तो गनीमत है कि जयपुरवालों को संभलने का मौका मिल जाता है। गेम जोन से लेकर रूफटॉप रेस्टोरेंट और कोचिंग संस्थान की नियमित रूप से जांच भी नहीं की जाती है। शहर में संचालित गेम जोन में वीकेंड पर बच्चों के लिए विशेष ऑफर निकाले जा रहे हैं। क्षमता से अधिक बच्चों को भरा जा रहा है। रविवार को निगम की जांच में शहर में ऐसे ही कई गेम जोन मिले, जहां बच्चों को क्षमता से अधिक एंट्री दे रखी थी। ग्रेटर निगम की अग्निशमन शाखा की ओर से शहर में 10 गेम जोन का निरीक्षण किया गया। टीम ने गांधी पथ, अजमेर रोड, झोटवाड़ा में निरीक्षण किया। सबसे अधिक खामियां झोटवाड़ा स्थित ट्राइटन मॉल में देखने को मिली। यहां करीब छह गेम जोन को सील कर दिया गया। इससे पहले बच्चों को बाहर निकाला गया। यहां लकड़ी, कपड़ा, थर्माकोल, गत्ते और रबर-प्लास्टिक का उपयोग किया गया था। इन गेम जोन का जो स्ट्रेक्चर बनाया गया है वह भी फायर प्रूफ नहीं मिला।