बीजेपी से बगावत कर विधानसभा चुनाव जीतने वाले विधायकों को 4 जून के लोकसभा चुनाव परिणाम का इंतजार है. चुनाव जीतने के बावजूद बागियों को पार्टी और सरकार में अहमियत नहीं मिली थी. 4 जून के बाद बागी तेवर दिखाने की तैयारी में हैं. बसपा से शिवसेना में जाने वाले सादुलपुर के विधायक मनोज न्यांगली और बाड़ी के जशवंत गुर्जर भी वर्तमान सरकार से नाराज बताये जाते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बागियों को पाले में कर लिया है. लेकिन ज्यादातर बागी मंत्री या मंत्री के बराबर का दर्जा चाहते हैं.मलाईदार पद नहीं मिलने पर परिवार से किसी को नगरीय निकाय या पंचायती चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक बागी विधायकों ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन इशारों इशारों में बात कह दी है. भरतपुर की बयाना से ऋतू बनावत निर्दलीय विधायक और हनुमानगढ़ से गणेश राज बंसल निर्दलीय विधायक हैं. बाड़मेर जिले की शिव सीट से निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी भी निर्दलीय विधायक हैं. डीडवाना से यूनुस खान, सांचौर से जीवाराम, चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान सिंह आक्या, भीलवाड़ा से अशोक कोठारी पर सबकी नजरें टिकीं हैं. रविंद्र सिंह भाटी और वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे यूनुस खान ने पत्ते नहीं खोले हैं. रविंद्र सिंह भाटी ने बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा की ताल ठोकी हैं. राजस्थान विधानसभा का चुनाव परिणाम के बाद सबसे पहले चंद्रभान सिंह आक्या ने जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद कयास लगाये जाने लगे कि बीजेपी ने आक्या को निर्दलीय लोकसभा चुनाव न लड़ने के लिए मना लिया है.इसलिए अब आक्या को बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है. ऋतू बनावत, जीवाराम, अशोक कोठारी के नामों की भी चर्चा है. मनोज और जशवंत ने शिवसेना का साथ पकड़ लिया है. लेकिन गठबंधन के नाते कोई न कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है. प्रियंका चौधरी को संगठन में जगह मिल सकती है. कई और विधायकों के नामों की चर्चा है.