जयपुर प्रदेश में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। पिछले वर्षों की तुलना में इन स्कूलों में आवेदनों की संख्या बहुत कम है। आवेदनों के गिरते आंकड़ों देख शिक्षा विभाग भी चिंतित है। यही कारण है कि विभाग को तीसरी बार आवेदनों की अंतिम तिथि बढानी पड़ी है। अभी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश के 3737 स्कूलों में एक लाख 20 हजार आवेदन आए हैं। हैरानी की बात है कि इनमें 800 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक भी आवेदन नहीं पहुंचा। वहीं, जिला मुख्यालयों में जो स्कूल मॉडल के तौर पर विकसित किए थे, उनमें आवेदन तो आ रहे हैं, लेकिन पिछली साल की तुलना में काफी कम है। आवेदन प्रक्रिया अभी छह जून तक चलेगी। हिंदी माध्यम में रूपांतरित करने की खबरों से संशय दरअसल, शिक्षा विभाग ने हाल ही एक प्रारूप जिला शिक्षा अधिकारियों को भिजवाया था। इसमें कहा कि यदि अंग्रेजी से हिंदी माध्यम में रूपांतरित करवाने के लिए सूचना इस प्रारूप में भिजवानी होगी। लेकिन अभी तक कई जिलों में ऐसा प्रारूप डाईओ के पास पहुंचा भी नहीं। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने सरकार पर महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों को बंद करने का विरोध किया। -विद्याधर नगर के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में इस बार 1740 आवेदन आए हैं। स्कूल 300 सीट हैं। गत वर्ष की बात करें तो प्रवेश के लिए पांच हजार आवेदन आए थे। वहीं, इससे पिछले साल करीब नौ हजार आवेदन आए थे।-गांधी नगर के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल गांधी नगर नंबर 2 में इस बार इस बार 221 सीटों पर 750 आवेदन आए हैं। इसके अनुसार एक सीट पर तीन आवेदन आए हैं। पिछले वर्ष एक सीट पर आवेदनों की संख्या 32 थी।-मानसरोवर के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में 133 सीटों के लिए 721 आवेदन आए हैं। पिछले साल इससे दो से तीन गुना आवेदन आए थे।-महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल सोमेश्वर पुरी जयपुर में एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ। महात्मा गांधी स्कूल मालवीय नगर में एक भी आवेदन प्राप्त नहीं में हुआ । शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि यह गलत अफवाह है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद किया जा रहा है। इस तरह की खबरें सही नहीं है। हमने सिर्फ अधिकारियों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का रिव्यू करने के निर्देश दिए हैं।पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय प्रवक्ता नारायण सिंह सिसोदिया का कहना है कि कम आवेदन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्रति नकारात्मकता फैलाने का परिणाम है। अभिभावकों में इन विद्यालयों के प्रति शंका पैदा हो गई है कि यह स्कूल बंद होंगे या चलेंगे।