कार कंपनियां इस बात की जानकारी अपने इश्तेहार में नहीं देती हैं। अलबत्ता वह क्लेम्ड माइलेज या रेंज के आगे स्टार जरूर लगा देती हैं ताकि उनके दावे को चुनौती नहीं दी जा सके। जानकारी के अभाव में ई-कार मालिक इस उम्मीद से 300 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ता है क्योंकि कार कंपनी ने एक बार चार्ज करने पर कार के 300 किलोमीटर तक चलने का दावा किया है।

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Electric Car Mileage इलेक्ट्रिक कार खरीदने जा रहे हैं तो इसकी पूरी पड़ताल कर लें कि उसका वास्तविक माइलेज क्या है। सच्चाई यह है कि उनका टेस्ट रेंज का जो दावा होता है, भारतीय सड़क और परिस्थिति के अनुसार सामान्य स्थिति में माइलेज 60-65 फीसद हो होता है।

कार की माइलेज या क्लेम्ड रेंज (Electric Car Range) तय करने के लिए गाड़ी की टेस्टिंग अधिकतम 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बिना एयरकंडीशन चलाए 25 डिग्री तापमान पर एक समान सड़क पर की जाती है। ऐसे में, अगर आप ई-कार चलाते समय 50 किलोमीटर से अधिक स्पीड रखेंगे, एसी चलाएंगे या फिर अपने अलावा कई अन्य लोगों को कार में बिठाएंगे तो ज्यादा एनर्जी लगेगी और कार वह माइलेज नहीं देगी जिसका दावा किया गया है। यहां तक की ट्रैफिक अधिक है या सड़कें टूटी-फूटी हैं तो भी माइलेज का दावा फेल हो सकता है। मौसम में फर्क की वजह से राजस्थान में वह रेंज नहीं मिलेगी जो मुंबई में मिलेगी।

कार कंपनियां विज्ञापनों में नहीं बताती पूरी बात

कार कंपनियां इस बात की जानकारी अपने इश्तेहार में नहीं देती हैं। अलबत्ता वह क्लेम्ड माइलेज या रेंज के आगे स्टार जरूर लगा देती हैं ताकि उनके दावे को चुनौती नहीं दी जा सके। जानकारी के अभाव में ई-कार मालिक इस उम्मीद से 300 किलोमीटर के सफर पर निकल पड़ता है क्योंकि कार कंपनी ने एक बार चार्ज करने पर कार के 300 किलोमीटर तक चलने का दावा किया है। लेकिन 300 किलोमीटर से काफी पहले कार की बैट्री खत्म हो जाती है और और उन्हें अपनी गाड़ी को चार्जिंग स्टेशन तक ले जाने के लिए अन्य वाहन बुलाना पड़ता है।

इलेक्ट्रिक कारों को लेकर लोगों में विश्वास की कमी

घरेलू ई-कार बाजार में 74 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के चीफ प्रोजक्ट ऑफिसर आनंद कुलकर्णी कहते हैं, ''भारत में मोडिफायड इंडिया ड्राइव साइकल (एमआईडीसी) के आधार पर गाड़ी की रेंज तय होती है। ऐसे में 50 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक स्पीड पर गाड़ी चलाने पर रेंज में कमी आएगी ही। हमारे डीलर बिक्री के दौरान ग्राहकों को रेंज संबंधित पूरी जानकारी देते हैं और यह बताते हैं कि इस इलाके में इतनी रेंज मिल सकती है, फिर भी ग्राहक अपने हिसाब से चलाता है तो रेंज वैरी कर सकती है। पेट्रोल-डीजल की गाड़ि‍यों में भी क्लेम्ड रेंज में अंतर आता है। ई-कार सिर्फ चार साल पहले बाजार में आई है और चार्जिंग स्टेशन भी कम हैं, इसलिए लोगों को लगता है कि हम फंस जाएंगे।''

उन्होंने बताया कि इस साल अप्रैल से 90 किलोमीटर तक की अधिकतम स्पीड से गाड़ी की रेंज तय करने की कवायद शुरू हो गई है। टाटा कंपनी के अनुसार उनका क्लेम्ड रेंज 460 है लेकिन जब ग्राहक आते हैं तो वह 300-320 किलोमीटर माइलेज ही बताते हैं।

बैट्री पुरानी होने पर भी रेंज में आएगा फर्क

सोसायटी ऑफ मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने बताया कि इलेक्ट्रिक कार की रेंज हमेशा एक जैसी नहीं रह सकती है। बैट्री पुरानी होती है तो उसकी क्षमता कम होती जाती है। नई बैट्री के इलेक्ट्रॉल व अन्य केमिकल ताजा होते हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियों को रेंज की आदर्श स्थिति और व्यावहारिक स्थिति के बारे में लिखना चाहिए। लेकिन प्रतिस्पर्धा की वजह से कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं