मालदीव सरकार ने कहा है कि 88 भारतीय सैनिकों की वापसी के भारत सरकार के साथ हुए समझौते को वह सार्वजनिक नहीं करेगी। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार 25 सैनिकों का पहला दल मालदीव से भारत लौट चुका है और उनके स्थान पर 26 असैनिक कर्मचारी मालदीव पहुंच चुके हैं।मालदीव में भारतीय सैनिक भारत द्वारा उपहार स्वरूप दिए गए हेलीकाप्टर के संचालन के लिए तैनात हैं। इंडिया आउट का नारा लगाकर नवंबर 2023 में मालदीव की सत्ता में आए राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जू ने शपथ ग्रहण के कुछ घंटे बाद ही भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग उठा दी थी।

भारतीय सैनिकों के अंतिम दल की वापसी पर बनी सहमति

इसके बाद दोनों देशों के बीच चली बातचीत में 10 मार्च तक सैनिकों के पहले दल और 10 मई तक भारतीय सैनिकों के अंतिम दल की वापसी की सहमति बनी। इनके स्थान पर भारत के असैन्य कर्मी हेलीकाप्टरों का संचालन करेंगे। मालदीव ने कहा है कि ये भारतीय कर्मी उसकी सेना के दिशानिर्देश पर कार्य करेंगे।

मुइज्जू को चीन समर्थक नेता माना जाता है और राष्ट्रपति बनने के बाद वह तुर्किये व चीन के दौरे करके उनके साथ कई समझौते कर आए लेकिन भारत नहीं आए हैं, जबकि मालदीव के पूर्व के राष्ट्रपति सत्ता में आने के बाद दशकों के मददगार भारत का दौरा पहले करते थे, किसी अन्य देश का बाद में।

'भारत के साथ हुए समझौते को नहीं करेगा सार्वजनिक'

न्यूज वेबसाइट एडीशनडाटएमवी ने मालदीव के विदेश मंत्रालय से सैनिकों की वापसी के संबंध में भारत के साथ हुए समझौते की जानकारी मांगी थी। जवाब में मंत्रालय ने कहा, सूचना के अधिकार के कानून के अनुच्छेद 29 के तहत वह भारत के साथ समझौते को सार्वजनिक नहीं करेगा। मुइज्जू से पहले मालदीव के राष्ट्रपति रहे इब्राहीम मुहम्मद सोलिह ने भी भारत के साथ हुए रक्षा समझौते को सार्वजनिक नहीं किया था। कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर सरकार भारत के साथ हुए समझौते को सार्वजनिक नहीं कर सकती है।